बिहार में जेडीयू का कहना है कि इस महीने के अंत तक एनडीए के अंदर सीटों का बंटवारा हो जाएगा। जदयू के इस दावे के बाद महागठबंधन में भी सीटों की संख्या को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है। आरजेडी और कांग्रेस के साथ तालमेल की इच्छा रखने वाली पार्टियां अपनी सीटों का दावा करने लगी हैं और इसी दावे ने आरजेडी और कांग्रेस की परेशानी बढ़ा दी है।

पिछले लोकसभा चुनाव में बिहार में आरजेडी ने सिर्फ कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था। 28 सीट पर आरजेडी लड़ी थी और 12 सीटों पर कांग्रेस लेकिन गठबंधन के बावजूद मोदी लहर में कुल 6 सीटों पर सिमट गई थी। अब दोनों पार्टियां समझ चुकी हैं कि अगर बिहार में मोदी और नीतीश से मुकाबला करना है तो सभी दलों को मिलाकर एक मजबूत किले बंदी करनी होगी। इसके लिए आरजेडी कांग्रेस लेफ्ट के साथ-साथ सपा, बीएसप, एनसीपी के साथ भी गठबंधन करना चाहती है। लेकिन सीटों की ज्यादा दावेदारी ने आरजेडी को परेशानी में डाल दिया है।

बता दे की ऐसे में अगर सारी लेफ्ट पार्टियों के डिमांड को मिला दिया जाये तो कुल संख्या लगभग 15 की हो जाती है। इसके अलावा हम 5, एनसीपी को 1 सपा को 1 और बीएसपी को 1 सीट चाहिए। इस समीकरण के बाद सीटों की संख्या 23 हो जाती है और आरजेडी-कांग्रेस के लिए मात्र 17 सीट बचती हैं। महागठबंधन की इस पशोपेश वाली स्थिति की अब जदयू भी चुटकी ले रहा है। हालांकि सूत्रों की माने तो सभी लेफ्ट पार्टियों और छोटे दल के लिए एक-एक सीट पर आरजेडी विचार कर रही है। साथ ही हम को 2 सीटें देने पर विचार हो रहा है। बाकी सीटें आरजेडी और कांग्रेस खुद में बांटेगी। दोनों दल यह कह रहे हैं कि सीटों का गणित उनके गठबंधन के लिए कोई बड़ी समस्या नहीं है

अगर बड़े गठबंधन के लिए आरजेडी को बिहार में ज्यादा सीटों पर समझौता करना पड़ता है तो यह सम्भव है की आरजेडी झारखंड और यूपी में भी अपनी दावेदारी कर सकती है। अब देखना है कैसे और कब तक सीटों के गणित को आरजेडी और कांग्रेस सुलझात पाती हैं।

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