Gorakhpur Manish Gupta Case में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने हत्या का केस दर्ज कर लिया है। सीबीआई की ओर से दर्ज की गई इस एफआईआर में निलंबित इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह, सब इंस्पेक्टर अक्षय मिश्रा, सब इंस्पेक्टर विजय यादव और तीन अज्ञात पुलिसकर्मियों के नाम शामिल हैं।
इससे पहले मृतक मनीष गुप्ता की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल करके गुहार लगाई थी कि वह अपने पति की हत्या के मामले में गठित एसआईटी की जांच से संतुष्ट नहीं हैं। इसलिए इस हत्याकांड की जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट भी मामले में कर रहा है सुनवाई
इस अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार औऱ यूपी की योगी सरकार से अपना जवाब पेश करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में अगली सुनवाई 12 नवंबर को करेगा।
गौरतलब है कि कानपुर का एक प्रॉपटी डीलर मनीष गुप्ता गोरखपुर में अपने दो दोस्तों के साथ किसी काम से जाते हैं। सभी एक होटल कृष्णा पैलेस में चेक-इन करते हैं। दिनभर काम खत्म करने के बाद रात में खाना खाने के बाद सभी होटल के अपने कमरे 512 में सोने की तैयारी कर रहे होते हैं। मनीष गुप्ता अपनी पत्नी मिनाक्षी गुप्ता से रात की आखिरी कॉल पर बात कर रहे थे।
पुलिसवाले चेकिंग के नाम पर करते हैं मनीष की पिटाई
तभी दरवाजे पर दस्तक होती है। मनीष के मित्र दरवाजा खोलते हैं और सामने से इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह अन्य 5 पुलिसकर्मियों के साथ बिना किसी परमिशन के कमरे में दाखिल हो जाते हैं। पुलिस वाले बताते हैं कि ये रूटिन चेकइन है, कप्तान साहब (एसएसपी-गोरखपुर) का आदेश है। इसके बाद वो कमरे की तलाशी लेने लगते हैं और सभी से पूछताछ करने लगते हैं।
मनीष को इस तरह से आधी रात बिना किसी वजह के परेशान किया जाना बेहद नगवार गुजरता है और वह पुलिस इंस्पेक्टर से कहता है कि आधी रात को आप ये कैसी चेकिंग कर रहे हैं, हम कोई आतंकवादी तो नहीं हैं। मनीष का इतना कहना था कि पुलिस इंस्पेक्टर को गुस्सा आ जाता है और मनीष की इस कदर पिटाई होती है बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान उसकी मौत हो जाती है। मनीष के दोस्तों को कहना है कि घटना के समय इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह ने कथिततौर पर शराब पी रखी थी।
गोरखपुर के डीएम और एसएसपी आरोपियों का बचाव कर रहे थे
इस मामले में एक मोड़ तब सामने आया जब एक वीडियो वायरल होता है बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज की पुलिस चौकी का। जिसमें जिले के डीएम और एसएसपी दोनों पीड़िता मिनाक्षी गुप्ता से कह रहे हैं कि आप एफआईआर मत करवाई। डीएम साहब तो यहां तक कह रहे हैं कि मैं आपको भाई होने के नाते कह रहा हूं कि इन्हें (घटना में शामिल पुलिसवालों को) माफ कर दीजीए।
इसके अलावा मिनाक्षी गुप्ता से यह भी कहा जाता है कि आप कहां कोर्ट-कचहरी के चक्कर में पड़ेंगी। सालों लग जाते हैं फैसले आने में। एक आईएएस और आईपीएस अधिकारी इस तरह की बात कर रहे हैं, जबकि उन्हें पता है कि इस मौत में जो लोग शामिल हैं उन्होंने गैरइरादन नहीं बल्कि जानबूझ मनीष की पिटाई की, जिससे उनकी मौत हो गई।
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