फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों अपनी चार दिवसीय यात्रा पर शुक्रवार (9 मार्च) को भारत पहुंचेंगे। इस दौरान उनके साथ फ्रांस की प्रथम महिला ब्रिजिटा भी होंगी। यह पहला ऐसा मौका है जब वह भारत के दौरे पर आ रहे हैं। इस दौरान उनकी पीएम नरेंद्र मोदी से 10 मार्च को आर्थिक, राजनीतिक और रणनीतिक मामलों पर द्विपक्षीय वार्ता होगी। इस खास मौके पर जैतपुर न्यूक्लियर पॉवर प्रोजेक्ट के समझौते पर दस्तखत होने की उम्मीद भी जताई जा रही है। इसके एक दिन बाद इंटरनेशनल सोलर अलायंस की बैठक होगी, जिसमें दोनों नेता भाग लेंगे।

गौरतलब है कि मोदी ने फ्रांस की पहली यात्रा मैक्रों के राष्ट्रपति बनने के बाद जून 2017 में की थी। भारत-फ्रांस के बीच रणनीतिक साझेदारी की शुरुआत 1998 से हुई थी। दोनों देशों के बीच अप्रैल 2016 से मार्च 2017 तक कुल 10.95 अरब डॉलर का कारोबार हुआ था। फ्रांस भारत में निवेश करने वाला दुनिया का 9 वां सबसे बड़ा देश है। तकरीबन एक हजार फ्रांसीसी कंपनियां भारत में काम कर रही हैं, जबकि 120 भारतीय फर्में फ्रांस में अपना कारोबार कर रही हैं।

इस बारे में विदेश मंत्रालय का कहना है कि मैक्रों की यात्रा से दोनों देशों के बीच संबंधों में और मजबूती आएगी। कुल मिलाकर देख जाएं तो फ्रांस के राष्ट्रपति की ये यात्रा बेहद अहम है। इस यात्रा पर सभी की नजरें टिकी हुई है।

मैक्रों के इस दौरे को इसलिए भी खास माना जा रहा है क्योंकि यह कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के भारत दौरे के लगभग दो सप्‍ताह बाद हो रहा है। अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर अक्‍सर मैक्रों और ट्रूडो की तुलना की जाती है। इसकी बड़ी वजह यह है कि दोनों ही नेता दिखने में बेहद ही हैण्डसम है, जो अकसर अपनी चार्मिंग पर्सनालिटी से दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचते हैं। इसके साथ ही दोनों नेताओं के राजनीतिक विचारों में भी काफी हद तक समानता देखने को मिलती है। बताया जा रहा है कि मैक्रों अपने भारत दौरे के जरिए अपने मेजबानों पर एक प्रभावी छाप छोड़ना चाहते हैं।

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