राज्यसभा के पूर्व सांसद महमूद ए मदनी के जाली ई-टिकट के आधार पर यात्रा भत्ता लेने के मामले पर सोमवार(18 दिसंबर) को पटियाला हाउस कोर्ट ने की सीबीआई अदालत ने सुनवाई स्थगित कर दी, मामले की अगली सुनवाई अब 18 मई 2018 को होगी।
मामले में अदालत ने कहा कि धोखाधड़ी, जालजासी और आपराधिक साजिश रचने के लिए मदनी के खिलाफ मामले चलाने के पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। हालांकि मदनी को 50,000 रूपये के निजी मुचलके पर ज़मानत मिली हुई है।
दरअसल अपने आरोप पत्र में सीबीआई ने राज्यसभा के पूर्व सांसद महमूद ए मदनी पर आरोप लगाया है कि वर्ष 2012 में तब राज्यसभा सदस्य रहे महमूद ए मदनी ने अपने पीए मोहम्मद मुबाशीर के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रची और जाली हवाई ई-टिकट के आधार पर यात्रा भत्ता लिया और राज्यसभा सचिवालय को धोखा दिया। सीबीआई ने कहा है कि बोनायर ट्रैवल सर्विस द्वारा नौ टिकट जारी किए गए थे और इसी सीएफएस टिकट को सस्ती दर से जारी किया गया था। एयरलाइन ने यह भी पुष्टि की है कि 9 सीएफएस टिकटों की वास्तविक कीमत सिर्फ 5,66 9 रुपये थी लेकिन मदनी द्वारा राज्यसभा सचिवालय में टिकट का पैसा (यात्रा भत्ता) लेने के लिए जाली टिकट पेशकर 5,57,135 रुपये का दावा पेश किया गया।
सीबीआई ने इस आधार पर कहा कि महमूद ए मदनी ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120 बी और धारा 420, 468, 467, 471 और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम 1988 की धारा 13(1)(डी) और 13(2) के तहत दंडनीय अपराध किया है।
मामले की सुनवाई के दौरान पूर्व सांसद के वकील ने कहा था कि महमूद ए मदनी के पीए ने टिकट के बिल जमा किए थे और मदनी को अपने और परिवार के लिए खरीदे गए टिकटों पर जो अतिरिक्त पैसा लेने का दावा पेश किया गया उसकी कोई जानकारी नहीं है।