उत्तर प्रदेश में विकास दूबे एनकाउंटर के बाद लगता है समाज दो धड़ों में बंट गया है। एक वह हो जो यूपी की योगी सरकार की भूरि भूरि प्रशंसा कर रहा है तो दूसरा विकास दूबे मामले को इस तरह से हैंडल किए जाने को लेकर योगी प्रशासन और यूपी पुलिस पर सवाल खड़े कर रहा है। इस मामले की जांच के लिए न्यायालयों में यह गुहार भी लगाई गई है।

ऐसे में उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक अरविन्द कुमार जैन ने सोशल मीडिया में एक वीडियो जारी करके कहा है कि ‘मैं इस वीडियो के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय और मुख्य ​न्यायधीश व अन्य लोगों से अनुरोध करना चाहता हूं कि ऐसा कोई निर्णय न पारित करें, जिससे पुलिस बल का मनोबल टूट जाये। उत्तर प्रदेश में पुलिस को बहुत बड़ा आघात पहुंचा है। उन्होंने कहा कि ‘मैंने भी 36 साल पुलिस विभाग में सेवाएं दी है। यूपी के डीजीपी पद से सेवानिवृत्त हुआ हूं। मैंने इस प्रकार का जघन्य और वीभत्स हत्याकांड नहीं देखा है।


उन्होंने कहा कि विकास दूबे जैसे अपराधियों की एक कोशिश थी जंगलराज और समांतर सरकार की स्थापना करने का। पुलिस कर्मियों को इंगित करके, चिन्हित करके एक-एक करके मारा गया। उतर करके उनके सिरों में गोलियां मारी गयी, उनके पैर काटे गए और उनके हथियार भी लूट लिए गए। उन्होंने कहा कि इस प्रकार का जघन्य अपराध तो नक्सलवादी भी नहीं करते हैं। उनके शवों को एक जगह इकट्ठा कर लिया गया था। इसमें गांव के कई घरों के लोग उनको सहयोग कर रहे थे। अगर हम इस पर भी कड़ी कार्रवाई नहीं करेंगे तो कल से पुलिस बल कहीं पर भी सुरक्षित नहीं रहेगा। जहां जायेंगे वहीं पर लोग इसकी पुनर्रावृत्ति करने का प्रयास करेंगे। मेरा अनुरोध है कि सोच समझकर इस पर निर्णय पारित किया जाये, जिससे पुलिस बल का भी मनोबल ऊंचा रहे। इस घटना के बाद लोगों में हताशा हो गयी थी। आम जनता में डर बैठ गया था। जनता को यह लगने लगा था कि जब पुलिस से डिप्टी एसपी समेत 50 लोग दबिश पर गये वो सुरक्षित नहीं है तो हमारा क्या होगा। यह तो जंगलराज की स्थापना कर देता कानपुर और आसपास के क्षेत्रों में। उगाही, फिरौती, अपहरण यह सब और बड़े पैमाने में शुरू हो जाती। इसके दमन चक्र का अंत किया जाना नितान्त आवश्यक था। इसके गैंग के खिलाफ निरंतर कार्रवाई चल रही है अभी इसके बहुत से गुर्गे बचे हुए हैं। मेरी अपील है कि यह जो कार्रवाईयां चल रही है इस पर निरंतरता बनी रहे। इसमें कहीं बीच में इस पर कोई रोक न लग जाये, इसमें ऐसा कोई निर्णय न हो जाये कि जिससे पुलिसकर्मी यह समझने लगे कि हम ही जांच के घेरे में आ गये हैं, अब हमें ही जवाब देना पड़ेगा, जिससे ​डिफेंसिव पुलिसिंग प्रारम्भ हो जायेगी। इससे मेरा अनुरोध है कि पुलिस कर्मियों के बीच ह्यूमन राइट की रक्षा किया जाना सर्वोच्च न्यायालय का ही दायित्व समझता हूं। मेरा उनसे अनुरोध है कि पुलिसकर्मियों को भी न्याय मिलना चाहिये। उन्होंने कहा कि यह बहुत खेद का विषय है कि जो कानपुर में पुलिसकर्मियों का नरसंहार हुआ है, यूपी के कानपुर तथा तेलंगाना के एनकाउंटर को एक सामान माना जा रहा है। तेलंगाना के एनकाउटर में चार खुंखार, बलात्कारी, हत्यारे मारे गए थे। जब पुलिस उन्हें घटनास्थल पर ले गई थी घटना का निरीक्षण कराने। यहां पर निर्दोष पुलिस बल अपने ड्यूटी को अंजाम देने सीओ के नेतृत्व में गया था। कानपुर की घटना अंजाने में नहीं हुई है, इसे अंजाम ​दिया गया है।

विकास दूबे हत्याकांड पर आज उत्तरप्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए हलफनामा भी दायर किया है ।


अपने हलफनामे में योगी सरकार ने कहा कि बारिश और तेज गति के कारण वाहन पलट गया था। वाहन में सवार पुलिस कर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए। विकास दुबे ने घायल कर्मियों में से एक से पिस्तौल छीन ली। उसे आत्मसमर्पण करने के लिए कहा गया, लेकिन उसने ऐसा करने से इनकार कर दिया और पुलिस पर गोलीबारी की।

हम आपको बता दें कि बिकरु में पूलिस जवानों की निर्मम हत्या के आरोपी गैंगस्टर विकास दुबे की गिरफ्तारी 9 जुलाई को सुबह उज्जैन के महाकाल मंदिर से हुई थी। गिरफ्तारी के बाद एसपी मनोज सिंह ने कहा था कि वह राजस्थान के झालावाड़ से सुबह से 3.58 बजे उज्जैन के देवासगेट बस स्टैंड पर पहुंचा था। वहां से ऑटो में बैठ कर रामघाट पर शिप्रा नदी में स्नान के लिए गया था। उसके बाद वह 7.45 बजे महाकाल मंदिर में पहुंचा था। यहां उसे पहली बार फूल की दुकान चलाने वाले ने देखा था। फिर मंदिर में तैनात सुरक्षाकर्मियों ने उसे गिरफ्तार किया था।

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