उत्तरप्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद आज से पहला विधानसभा सत्र शुरू हो रहा है। इस विधानसभा सत्र के हंगामेदार होने की पूरी आशंका है। साथ ही अब तक राज्य सरकार द्वारा लिए गए फैसलों और सरकार की आगे की रणनीति समेत कई अहम् मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। आज से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र की तैयारी विपक्षी पार्टियों के साथ सत्ता पक्ष भी कर रहा है लेकिन सपा और बसपा के अँदरूनी घमासान से सदन में विपक्ष की धार कमजोर होती दिख रही है। विधानसभा सत्र के दौरान कमज़ोर विपक्ष का फायदा बीजेपी सरकार को होगा।

first session of UP 17th Legislative Assembly will be start from todayसरकार बदलने के बाद सदन के भीतर बदले हुए स्वरूप में कल तक सुर में सुर मिलाने वाले कई नेता आपसी कलह की वजह से एक दूसरे को कमजोर बनाते दिख सकते है। क्योंकि चुनाव में हारने के बाद वैसे तो सपा मुख्या विपक्षी दल है लेकिन संख्या बल की कमी का असर सदन में दिखाई देगा। इतना ही नही मुलायम सिंह यादव के केंद्रीय राजनीति में जाने के बाद अब तक भाई शिवपाल यादव ही सदन में सपा के सियासी फौज की कमान सभांलते दिखे हैं लेकिन ऐसा पहली बार होगा जब सदन में सपा की कमान मुलायम परिवार से इतर किसी अन्य नेता के हाथ में होगी और शिवपाल किनारे होंगे। इसके अलावा शब्दों से विपक्ष की बेचैनी बढ़ाने वाले आजम खां के तेवर भी ठंडे ही दिख सकते हैं। ऐसे में सपा की ओर से आरोपों की धार कुंद होनी तय है। लेकिन विपक्ष कानून-व्यवस्था समेत कई मुद्दों को सदन के भीतर अपना हथियार बनाने की तैयारी में है।

14 सालों तक उत्तर प्रदेश की राजनीति के केंद्र में रही बीएसपी सदन के एक कोने में ही सिमटी दिखायी देगी वजह साफ है मात्र 19 विधायकों के साथ एक तो बीएसपी सरकार की मुश्किल बढ़ा पाये इसकी उम्मीद बहुत कम है वही दूसरी ओर बीएसपी की अंदरूनी कलह निश्चित रूप से सदन में बीएसपी की धार को कमजोर बनायेंगे। वैसे तो बीएसपी के कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्या पहले ही बीएसपी छोड़कर सदन में पार्टी की आवाज को धीमा कर चुके हैं और अब नसीमुद्दीन सिद्दीकी के निष्कासन और उसके बाद उनके मायावती पर लगाये आरोपों से पार्टी सकते में है ऐसे में पार्टी विधान परिषद में भी कमजोर होगी ये तय है। विधानसभा चुनाव भले ही सपा और कांग्रेस ने मिलकर लड़ा हो लेकिन सदन में इस गठबंधन के एकजुट दिखने के आसार कम हैं। और तो और कांग्रेस के पास महज 7 विधायक हैं साथ ही प्रदीप माथुर जैसे कांग्रेसी की सदन में गैरमौजूदगी कांग्रेस को खलेगी। हालांकि विपक्ष से दो दो हाथ करने के लिए बीजेपी ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है ।

योगी सरकार बने महज 45 दिन हुए हैं जो किसी भी सरकार के काम – काज का आकलन करने के लिए बहुत ही कम है लेकिन इस बीच सहारनपुर समेत प्रदेश के कई जिलों में हुई सामंप्रदायिक घटनाओं ने नई सरकार के खिलाफ विपक्ष को घेरने का बड़ा मुद्दा जरूर दे दिया है। देखना होगा कि आज से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में विपक्ष हावी होता दिखता है या फिर सरकार मजबूती से अपना पक्ष रखती है। आज शुरू होने वाले विधानसभा सत्र से पहले मुख्यमंत्री योगी ने सर्वदलीय बैठक बुलाई विधानसभा में हुई इस बैठक में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी, संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना और विधान सभा अध्यक्ष ह्रदय नरायण दीक्षित शामिल हुए थे।  अन्य दलों में कांग्रेस से विधान मंडल दल नेता अजय कुमार लल्लू,सपा के विधानमंडल दल नेता रामगोविंद चौधरी भी शामिल रहे। बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी विपक्षी दलों से सदन सुचारू रूप से चलाने के साथ – साथ विधायी कार्यों में सहयोग की अपील की है ।

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