मुस्लिम बच्चों को केवल उनके धर्म और नस्ल के कारण सामाजिक शर्मिंदगी का शिकार बनना पड़ रहा है। दुनिया में जिस तरह आतंकवाद अपना पैर पसार रहा है, इसके आरोप से अब मुस्लिम बच्चे भी नहीं बच पा रहे हैं। दरअसल ब्रिटेन में हुए आतंकी हमलों के बाद अब 9 साल के छोटे बच्चों को भी आतंकवादी बताया जा रहा है। यह खबर 19 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए काम करने वाली एक संस्था ‘चाइल्डलाइन’ ने दी है।
इस संस्था की माने तो पिछले कुछ महीनों के दौरान ब्रिटेन में कई आतंकी हमले हुए हैं। हर हमले के बाद नस्लीय घटनाओं में इजाफा हुआ है। जिन शहरों में हमले हुए, वहां इन घटनाओं में ज्यादा वृद्धि दर्ज की गई। हर तरफ धीरे धीरे इस्लामोफोबिया बढ़ता जा रहा है। इसी मौहाल के चलते अब लोग मुस्लिम बच्चे को एक बच्चे के रूप में बाद में और पहले उसे एक मुसलमान के रूप में देख रहे हैं।
दरअसल इस संस्था की एक रिपोर्ट की माने तो मुसलामन बच्चों की शिकायत है कि लोग उनसे सही तरीके से पेश नहीं आते। उनके धर्म और नस्ल को लेकर उनपर फब्तियां कसी जाती हैं और उन्हें परेशान किया जाता है। उन पर इस्लामिक स्टेट से जुड़े होने का आरोप लगाया जाता है। छोटी बच्चियों और लड़कियों ने बताया कि हिजाब के कारण अक्सर उनके साथ बदसलूकी की जाती है।
वहीं कई बच्चों ने तो इस दुर्व्यवहार से बचने के लिए स्कूल जाना तक छोड़ दिया और कितनों ने खुद को नुकसान पहुँचाने की भी कोशिश की है। संस्था के मुताबिक, वेस्टमिंस्टर में हुए हमले के बाद तो इस तरह की शिकायतें दोगुनी हो गईं। फिर जब मैनचेस्टर में आत्मघाती हमला हुआ, तब हेल्पलाइन के पास बच्चों के इतने फोन आने लगे कि उन्हें 300 काउंसलिंग सत्र लेने पड़े।
पिछले 3 साल में यह चाइल्डलाइन ढाई हजार से ज्यादा ऐसे काउंसलिंग सत्र आयोजित कर चुका है। हालांकि चाइल्डलाइन से संपर्क करने वाले बच्चे अलग-अलग धर्मों से हैं पर सबकी हालत एक जैसी ही है। बता दें कि इस समय पूरा विश्व इस्लामोफोबिया से जूझ रहा है पर इस डर से बच्चों के साथ ऐसा होना एक तरीके से लोगों में बढ़ते कट्टरपंथ का सूचक है।