किसान आंदोलन को सोमवार को 200 दिन पूरे हो गए, 200 दिन से किसान दिल्ली की दहलीज पर कृषि कानून का विरोध कर रहे हैं। दिल्ली में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे हैं। गाजीपुर बॉर्डर, सिंघू बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर पर किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द कराने के लिए आंदोलन कर रहे हैं। देश के अन्य हिस्सों में भी किसान आंदोलन कर रहे हैं। इस बीच खबर है कि दिल्ली-हरियाणा के कुंडली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों के कारण आसपास के इलाकों में रहने वाली बहन, बेटियों का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है।

दरअसल आंदोलन कर रहे किसानों के कारण दिल्ली-हरियाणा जाने वाले यात्रियों पर काफी असर पड़ रहा है। छोटे सफर के लिए भी लंबा रस्ता तय करना पड़ रहा है। कोचिंग करने वाले छात्र दिल्ली नहीं जा पा रहे हैं। रेहड़ी-पटरी वालों को भी खूब नुकसान हो रहा है। इस मुद्दे को लेकर ग्रामीणों और आंदोलनकारियों के बीच खूब झड़प हुई। सोमवार को पंचायत भी हुई जिसमें आसपास के दर्जनभर गांव के लोग शामिल हुए। लोगों का कहना है कि किसान आंदोलनकारियों की ज्यादती की वजह से गांव की बहू-बेटियों का घर से निकला मुश्किल हो गया है।

आंदोलनकारी जीटी रोड़ के आसपास जाने वाली सड़कों को रोकर बैठे हैं। इस दिक्कत से तंग आकर पंचायत में निर्णय लिया गया कि 20 जून को होने वाली महापंचायत के अलावा रोड खुलवाने की मांग को लेकर जल्द ही ग्रामीणों का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मिलेगा। सेरसा गांव के रामनिवास पर शनिवार को अपने घर जाने के दौरान बैरिकेड्स के बगल से गाड़ी निकालने को लेकर आंदोलनकारियों ने जानलेवा हमला कर दिया था। उन्होंने करीब 200 मीटर दूर अपने जानकार के दुकान में छिपकर अपनी जान बचाई थी।

पंचायत में टीडीआइ निवासी रामफल सरोहा ने बताया कि आंदोलनकारियों द्वारा जीटी रोड बंद करने के कारण क्षेत्र के उद्योग-धंधे चौपट हो चुके हैं। उद्योगपति पलायन कर रहे हैं। दिल्ली में कोचिंग करने वाले बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है। यहां तक की इनके बीच हमारी बहन-बेटियां भी सुरक्षित नहीं है। 20 जून की महापंचायत में इन सब बातों को ध्यान में रखकर जल्द से जल्द रोड खाली कराने का निर्णय लिया जाएगा।

भैरा बांकीपुर गांव के ब्लाक समिति सदस्य सतीश कुमार ने कहा कि आंदोलनकारी मनमानी कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया गया कि गांवों के संपर्क मार्ग तक बंद करके उनको कैद कर दिया है और नशा कर रातभर ट्रैक्टरों को गांवों में दौड़ाया जाता है। इस तरह की हरकतों का विरोध करने पर मारपीट तक की जाती है।  साथ ही गांव में रहने वाली महिलाओं पर भी इनकी गंदी नजर है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here