प्रसिद्ध भारतीय शास्त्रीय गायिका और ठुमरी क्वीन कहलाने वाली गिरिजा देवी अब नहीं रही। पद्म विभूषण से सम्मानित प्रख्यात शास्त्रीय गायिका गिरिजा देवी का कल रात दिल का दौरा पड़ने के बाद कलकत्ता के एक अस्पताल में 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निधन से संगीत जगत स्तब्ध और शोकाकुल है।
बता दें कि गिरिजा देवी का जन्म 8 मई, 1929 को वाराणसी में हुआ था। उन्होंने संगीत की शिक्षा अपने पिता रामदेव राय से ली थी। शास्त्रीय और उप-शास्त्रीय संगीत में सिद्ध गिरिजा देवी की गायकी में सेनिया और बनारस घराने की अदायगी का खास माधुर्य था। वे ध्रुपद, खयाल, टप्पा, तराना, सदरा और पारंपरिक लोक संगीत की अनुपम गायिका थीं। होरी, चैती, कजरी, झूला, दादरा और भजन में उनकी आवाज नए रंग और रस लेकर आती थी। उन्होंने ठुमरी के साहित्य का गहन अध्ययन और अनुसंधान भी किया। इसीलिए उन्हें ठुमरी की महारानी के नाम से भी शोहरत मिली।
कोलकाता से मिली खबर के अनुसार, उनका निधन बिड़ला अस्पताल में रात करीब साढ़े नौ बजे हुआ। सुबह इनकी नतनी अनन्या दत्ता ने तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती कराया था। बकौल अनन्या, सुबह नानी ने खूब बात की थी। फिर थोड़ी तबीयत खराब होने की बात कही तो हम सब उन्हें चेकअप के लिए अस्पताल ले आए। नानी रात करीब साढ़े नौ बजे हम सबका साथ छोड़कर चली गईं।
गौरतलब है कि गायकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए गिरिजा देवी को वर्ष 1972 में पद्मश्री, वर्ष 1989 में पद्मभूषण और वर्ष 2016 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। गिरिजा देवी को संगीत नाटक अकादमी द्वारा भी सम्मानित किया गया था। जैसा कि हम सब जानते हैं कि संगीत की दुनिया में बनारस घराना कितना प्रसिद्ध है। लोग जैसे ही बनारस और संगीत की बात करते हैं उनकी आंखों के सामने बिस्मिल्लाह खां, किशन महाराज,छन्नू महाराज या गिरिजा देवी का ही चहरा घूमता है। वैसे ही जब भी दुनिया में ठुमरी की बात होगी लोग अप्पा जी यानी गिरिजा देवी को ही याद करेंगे।
वैसे उनके अप्पाजी कहलाने की भी कहानी दिलचस्प है। दरअसल उनकी बहन का बेटा जब छोटा था, तो उन्हें अप्पाजी कहता था। उसके साथ बाकी लोग भी कहने लगे और धीरे-धीरे वो सभी की अप्पाजी हो गईं।
गायकी के अलावा उन्होंने एक फिल्म ‘याद रहे’ में भी काम किया था। उन्हें इसके लिए महात्मा गांधी ने सराहा था। तब वो महज 10 साल की थीं। भले ही उसके बाद वो फिल्मों से दूर हुईं, लेकिन सराहे जाने का दौर जारी रहा।
गिरिजा देवी के निधन पर तमाम कलाकारों और नेताओं ने ट्वीट कर शोक जाहिर किया। स्वर कोकिला लता मंगेशकर से लेकर पीएम मोदी तक ने उनकी मृत्यु पर शोक जताया। यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी संगीत जगत की इस अपूर्णीय क्षति पर शोक जताया।
Mahan shastriya aur thumri gayika Girija Devi ji hamare bich nahi rahi ye sunke mujhe bahut dukh hua.Hamare unke bahut acche sambandh the. pic.twitter.com/QhrLH5mW2q
— Lata Mangeshkar (@mangeshkarlata) October 24, 2017
उन्होंने ठुमरी में अपनी पहचान बनाई और ठुमरी को अपनी पहचान दी, जिसे वो ठेठ बनारसी ठुमरी कहती रहीं। उन्होंने हमेशा माना कि तकनीक को जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करना ठुमरी की आत्मा को मार देता है। ठुमरी के लिए भावनाएं सबसे अहम हैं। वही भावनाएं गिरिजा देवी की गायकी में हमेशा दिखाई और सुनाई देती रही।
गिरिजा देवी का हमारे एपीएन न्यूज परिवार से भी गहरा नाता था। वो कई दफे हमारे बीच आईं । वो हमें खबरों के बीच भी मिठास खोजने की आदत डालने की बात कहती थी। हमारी एडीटर-इन-चीफ राजश्री राय ने उन्हें अपने फेसबुक पेज पर भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
वैसे तो ठुमरी सदा सीखी और गाई जाएगी पर जो गिरिजा देवी की आवाज से ठुमरी में जीवंतता महसूस होती थी शायद ही वो आवाज, वो जादू अब किसी ओर के ठुमरी और चैती गाने में हो महसूस हो।