कोरोना से निपटने के लिए देश में टीकाकरण अभियान चल रहा है। जनता को वैक्सीनेट करने के लिए तरह तरह के कैंपेन चलाए जा रहे हैं। पर तब क्या होगा जब आप फर्जी टीकाकरण का शिकार हो गए हों…सुनने में तोड़ा अटपटा लगता है कि फर्जी टीकाकरण क्या हो सकता है ? लेकिन ऐसा हुआ है मुंबई में दो बड़े प्रोडक्शन हाउस फर्जी टीकाकरण का शिकार हुए हैं। इसमें टिप्स इंडस्ट्रीज के मालिक रमेश तैरानी और मैचबॉक्स पिक्चर्स के मालिक शामिल हैं।

रमेश तैरानी ने मीडिया को बताया कि उन्होंने अपने 365 कर्मचारियों को 30 मई और 3 जून को टीका लगवाया था, लेकिन उन्हें अब तक सर्टिफिकेट नहीं मिला है। तैरानी ने आगे कहा जीएसटी के साथ 1200 रुपये प्रति टीका भुगतान किया था लेकिन सब फर्जी निकला।

एक अधिकारिक न्यूज चैनल से बात करते हुए रमेश तैरानी ने बताया कि ‘जी हां हम वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट का इंतजार कर रहे हैं। जब मेरे कर्मचारियों ने उनसे (एसपी इवेंट के संजय गुप्ता) संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि सर्टिफिकेट शनिवार (12 जून) तक आ जाएगा। हमने प्रति डोज 1200 रुपए और जीएसटी अलग से देकर 365 कर्मचारियों का टीकाकरण करवाया। लेकिन पैसे से ज्यादा हम इस बात को लेकर चिंता में हैं कि हमें क्या दिया गया? यह असली कोवीशील्ड थी या कोई सलाइन वाटर। हमें कहा गया था कि सर्टिफिकेट कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल से मिलेगा।”

इसी तरह का वाक्या प्रोडक्शन हाउस मैचबॉक्स पिक्चर्स के साथ हुआ है। एसपी इवेंट की ओर से 29 मई को इस प्रोडक्शन हाउस के करीब 150 कर्मचारी और फैमिली मेंबर्स को कोवीशील्ड का पहला डोज दिया था। इन लोगों से कहा गया कि अपन कोरोना सर्टिफिकेट कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल से कलेक्ट कर लेना।  लेकिन दो सप्ताह बाद उन्हें अपना सर्टिफिकेट नानावटी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल से मिला, जिसमें डोज लेने की तारीख 12 जून लिखी गई।

अहम बात यह कि वैक्सीनेट हुए किसी भी व्यक्ति को बुखार और कोई भी लक्षण नहीं हुआ जिसके बाद इन सभी का शक और भी गहरा हो गया। यह कोई अनोखा मामला नहीं है। मुंबई के कांदीवली सोसायटी में भी लोग फर्जी टीकाकरण का शिकार हुए हैं।

हीरानंदानी एस्टेट सोसाइटी के निवासियों ने दावा किया कि वे फेक वैक्सीनेशन घोटाले का शिकार हुए हैं। सोसाइटी के 300 से ज्यादा लोगों को इसके जरिए ठगा गया। बताया जा रहा है कि सोसाइटी की कमेटी की ओर से 30 मई को वैक्सीनेशन कैंप लगाया गया था और प्रति डोज 1260 रुपए चार्ज किए गए थे। वैक्सीन देने वालों ने खुद को कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल से संबंधित बताया था।

कर्मचारियों का कहना है कि जानकारी को को विन एप पर डालने की बजाय बुक में नोट डाउन किया गया। फर्जी वैक्सीन का खुलासा तब हुआ जब वैक्सीनेट हुए व्यक्तियों का कोरोना सर्टिफिकेट अलग-अलग अस्पतालों से मिलने लगा। जब नानावटी हॉस्पिटल से संपर्क किया गया तो उन्होंने इस तरह का कोई भी वैक्सीनेशन कैंप लगाए जाने की बात से इंकार किया। 

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