देश की आर्थिक राजधानी मुंबई हर समय बॉलीवुड और अधिक बरसता को लेकर चर्चा में रहती है। राजनीति को लेकर महाराष्ट्र की चर्चा कम ही होती है। पर उद्धव ठाकरे के राज में महाराष्ट्र हर दिन अखबार के किसी कोने में देश की जनता से संवाद कर रहा होता है। इस बार राज्य अपनी राजनीति को लेकर काफी चर्चा में है। शिव सेना को लूटेरी सरकार घोषित कर दिया गया है। वहीं एनसीपी को महावसूली आघाड़ी सरकार नाम दिया गया है।

महाराष्ट्र में राजनीतिक भूचाल मचा हुआ है। इसका पूरा श्रेय मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह को जाता है। परमबीर ने राजनीतिक गलियारों में वो तूफान मचाया हुआ है कि, जिसे शांत करने के लिए राज्य के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। इस तूफान के सामने देशमुख का इस्तीफा भी उड़ गया। आंधी अपनी रफ्तार में चल रही है।

मुंबई पुलिस के अधिकारी सचिन वाजे तो एनआईए के गिरफ्त में है ही, अब एनआईए का ध्यान एक और पूर्व मुंबई पुलिस एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा पर है, जिन्हें वाजे के मेंटर के रूप में भी जाना जाता है। एनआईए अधिकारी ने कहा, “हमारे पास कुछ निश्चित सुराग हैं, जो मनसुख हिरेन मौत मामले में शर्मा द्वारा की गई कुछ मदद हो सकती है। हम उनसे पूछताछ कर रहे हैं। अब तक वह सहयोग कर रहे हैं और विवरण प्रदान कर रहे हैं, जो मददगार साबित हो रहे हैं।”

वाजे ने एनआईए को इस बात के संकेत दिया था कि उन्होंने शर्मा के संपर्क के माध्यम से जिलेटिन की छड़ें खरीदी थीं। हालांकि इस रहस्योद्घाटन को अदालत में साबित करने के लिए दस्तावेजी सबूत की आवश्यकता होती है। 

शर्मा और वाजे को पुलिस विभाग में अपने शुरुआती दिनों से करीब माना जाता है। बाद में यह एनकाउंटर जोड़ी शिवसेना नेतृत्व के करीब आ गई। वाझे 2007 में पार्टी में शामिल हुए और उन्हें प्रवक्ता नियुक्त किया गया। 2019 के अंत में महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की सरकार बनने के बाद 2020 में ड्यूटी से उनका निलंबन रद्द कर दिया गया।

प्रदीप शर्मा ने भी पुलिस सेवा से इस्तीफा दे दिया और 2019 में शिवसेना में शामिल हो गए। वह नाला सोपारा सीट से विधानसभा चुनाव हार गए। शर्मा और वाझे ने मिलकर दाऊद इब्राहिम गिरोह के 360 से अधिक शार्पशूटरों के अलावा कई अन्य गैंगस्टरों को मार गिराया।

दरअसल मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर जिलेटिन की कुछ छड़ बरामद हुई थी। जांच में खुलासा हुआ था कि, यह कांड करने वाला मुंबई पुलिस का क्राइम ब्रांच का अधिकारी सचिन वाजे ही था। इसके बाद वाजे को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया था। कुछ समय बाद वाजे को एनआईए ने गिरफ्तार किया और पूछताछ करने लगी। इस बीच परमबीर का ट्रांसफर हुआ। अपने ट्रांसफर से नाराज परमबीर ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक खत लिख, अनिल देशमुख पर जबरन वाजे से वसूली का आरोप लगाया था। इस खते के बाद मुंबई की राजनीति में आया भुचाल शांत नहीं हुआ है। सभी आरोपों को देशमुख और एनसीपी नेता शरद पवार खारिज करते रहे। मामले को फंसता देख परमबीर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने यह कह कर परमबीर सिंह की याचिका खारिज कर दी कि, आप पहले हाईकोर्ट जाइए। हाईकोर्ट से परमबीर सिंह की जीत हुई, कोर्ट ने मामले को सीबीआई जांच का आदेश दे दिया। कोर्ट के इस फैसले के बाद पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख ने पद से इस्तीफा दे दिया। इस दौरान अनिल देशमुख ने कहा था कि, कोर्ट ने मेरे खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश दिया है। अब मैं इस पद के लायक नहीं हूं। यहीं से सचिन वाजे, प्रदीप शर्मा के फंसने का सिलसिला शुरू हुआ।

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