देश में कैशलेस इकॉनमी को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने एक अहम शुरुआत की है, डिजिटल इंडिया बनाने के संकल्प के तहत केंद्र सरकार ने अब बिजली के भुगतान के लिए भी डिजिटल पेमेंट को अनिवार्य कर दिया है। सरकार लोगों से डिजिटल मोड़ में आने के लिए अपील कर रही है।

गौरतलब है कि बिजली मंत्रालय ने राज्यों की डिस्ट्रिब्यूशन कंपनियों से कहा है कि वे ऑनलाइन और डिजिटल पेमेंट मैकेनिज्म बनाएं और मजबूत करें। हर साल लाखों करोड़ रुपए की बिजली की खपत होती है। अगर इस कदम में कामयाबी मिलती है तो देश काफी हद कैशलेस इकॉनमी की राह पर होगा।

electricity payment will be cashlessसेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के पास उपलब्ध डेटा के अनुसार, अप्रैल 2016 से इस साल मार्च तक राज्यों को 1,134,63.10 करोड़ यूनिट बिजली सप्लाई की गई है। अगर 3 रुपये प्रति यूनिट का टैरिफ भी रखकर गणना की जाए तो डिजिटल पेमेंट मैकेनिज्म पर शिफ्ट होने से 340,389 करोड़ रुपये जेनरेट हो सकते हैं। पावर मिनिस्ट्री इसी सप्ताह कैशलेस इलेक्ट्रिसिटी बिल पेमेंट को बढ़ावा देने के तरीकों पर चर्चा करेगी। बिजली का भुगतान डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, नेट बैंकिंग आदि के जरिए किया जा सकेगा।

बता दें कि सरकार देश को कैशलेस बनाने के लिए इससे पहले भी कई अहम कदम उठा चुकी है। अगर  यह प्रयोग सफल रहा तो यह डिजिटल इंडिया के लिए एक ऊंची छलांग साबित हो सकता है।

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