भारतीय सेना ने मंगलवार को ब्रह्मोस मिसाइल के नए आधुनिक वर्जन ‘ब्रह्मोस ब्लॉक- 3’ का सफल परीक्षण किया। सेना ने यह परीक्षण अंडमान-निकोबार में किया। इस परीक्षण को चीन के लिए चुनौती माना जा रहा है।

इस परीक्षण में मिसाइल की हमला करने की क्षमता सटीक साबित हुई। इसकी मारक क्षमता की फिर से पुष्टि करने के लिए ही यह परीक्षण किया गया है।

जमीन पर मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल को मोबाइल ऑटोनोमस लांचर से दागा गया। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मिसाइल के ब्लॉक-3 ने परीक्षण में अपनी अतुलनीय विध्वंसक क्षमता का प्रदर्शन किया है।

मिसाइल ने कृत्रिम लक्ष्य को “बुल्स आई” के साथ भेदा। उन्होंने बताया कि अपेक्षित अनुमान के अनुसार ही सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ने जमीन पर स्थित लक्ष्य को भेदा है।

यह ब्लॉक-3 का चौथा परीक्षण था। ब्रह्मोस का जमीन पर मार करने वाला प्रारूप सेना में 2007 से ही संचालन में है। ब्रह्मोस ब्लॉक-3 भारत-रूस संयुक्त परियोजना का हिस्सा है। यह रूसी पी-800 ओनिक्स मिसाइल पर आधारित है।

बताया जा रहा है कि क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस किसी भी प्रकार के खतरनाक हथियारों पर लगाए गए निशाने के अनुसार घातक वार करती है। इसकी एक खासियत यह भी है कि ये किसी भी गतिशील लक्ष्य को आसानी से निशाना बना सकती है। सतह पर मौजूद टॉरगेट को भी नष्ट करने में ये अचूक है। ये किसी भी शक्तिशाली रडार को धोखा देने में भी सक्षम है। ब्रह्मोस मिसाइल अमेरिका की टॉम-हॉक मिसाइल से दो गुना तेज बताई जाती है।

कम ऊंचाई से भी घातक हमला करना इसकी एक बड़ी खासियत है। ये दुनिया की एक ऐसी मिसाइल है जो झुकी हुई और वर्टिकल दोनों ही अवस्था में दागी जा सकती है। ब्रह्मोस के इस नए वर्जन का ये चौथा परीक्षण था। ब्रह्मोस मिसाइल सुखोई-30 फाइटर एयरक्राफ्ट और शिप से भी दागी जा सकती है।

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