इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के घोटाले का मामला अब भी शांत नहीं हुआ है और एक बाद एक गड़बड़ी का आरोप लगाया जा रहा है। यूपी विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद से ही इस मामले ने तूल पकड़ लिया था और आरोपों का सिलसिला बदस्तूर जारी है। आरोप लगाया जा रहा था कि ईवीएम से छेड़छाड़ की गई है जिसके कारण बीजेपी को बहुमत हासिल हुई है। इन आरोपों पर चुप्पी तोड़ते हुए चुनाव आयोग ने ओपन चैलेंज देने का फैसला लिया है।
गौरतलब है कि चुनाव आयोग ईवीएम का समर्थन करते हुए खुलकर सामने आया है और ईवीएम मशीन के गड़बड़ी को साबित करने के लिए चुनौती दी है। बताया जा रहा है कि ओपन चैलेंज के लिए जल्द ही एक तारीख तय की जाएगी। जिसमें सभी दलों, व्यक्तियों और कुछ तकनीकी विशेषज्ञों को बुलाया जाएगा।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर से ईवीएम पर सवाल उठाए जाने के बाद चुनाव आयोग ने कहा है कि वो किसी से भी ईवीएम की जांच करा लें। 2009 में भी कुछ ऐसा ही वाक्या सामने आया था और उस वक्त भी चुनाव आयोग ने सभी को चुनौती दी थी, मगर उस वक्त भी कोई ईवीएम में गड़बड़ी साबित नहीं कर पाया था। उसके बाद से एक बार फिर इसको लेकर सवाल उठ रहे हैं और फिर से सभी शक और संदेहों को दूर करने के लिए इस प्रकिया को दोहराया जाएगा।
केजरीवाल ने दावा किया था कि उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में इस्तेमाल हुई ईवीएम में बड़ी सफाई से छेड़छाड़ हुई है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के भिंड उपचुनाव की जिस ईवीएम में गड़बड़ी मिली है, उसे उत्तरप्रदेश से भेजा गया था। केजरीवाल का चुनाव आयोग पर आरोप है कि इस मामले में कानून का उल्लंघन हुआ है। बगैर 45 दिन पूरा हुए मशीन दूसरे चुनाव में भेज दी गई। केजरीवाल ने आयोग से कहा कि वह ईवीएम उन्हें दे दे, वह दिखा देंगे कि इसमें छेड़छाड़ कैसे की जाती है। केजरीवाल के इसी चैंलेज को स्वीकर करते हुए चुनाव आयोग जल्द ही ईवीएम जांच के लिए केजरीवाल को सौंप सकती है।
बता दें कि इससे पहले बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने भी ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की बात कही थी। मायावती इस मुद्दे को लेकर कोर्ट भी गई थी। बीएसपी के अलावा अन्य पार्टियों का भी आरोप था कि मशीन से छेड़छाड़ की गई है।