नरेंद्र मोदी की सरकार ने तीन साल पूरे कर लिए हैं। बीते तीन सालों में पीएम मोदी ने कई नई योजनाओं को शुरू किया। उनमें एक सबसे बड़ी और अहम योजना है मेक इन इंडिया। इस योजना के जरिए मोदी जी ने देश की जनता को जागरूक किया कि वे अपने ही देश में खुद नई चीजों का अविष्कार करें और उसी का इस्तेमाल भी करें। पीएम की इस योजना का असर देशभर में देखने को मिल भी रहा है।

मेक इन इंडिया के तहत देश के रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने भी एक बड़ी घोषणा की है। रक्षा मंत्रालय ने देश की रक्षा के लिए नए मिसाइल और हथियारों को विदेशी कंपनियों से खरीदने के बजाए देश की आर्मी मिसाइल कॉन्ट्रेक्ट रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानि डीआरडीओ को ही नए हथियारों के निर्माण का ठेका दिया है। रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने डीआरडीओ को इस निर्माण कार्य के लिए करीब 18,000 करोड़ रूपये की राशि देने का ऐलान किया है।

एक न्यूज़ चैनल की खबर के मुताबिक पिछले हफ्ते रक्षा अधिग्रहण परिषद की महत्वपूर्ण बैठक में यह निर्णय लिया गया और रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि हम विदेशों से छोटी रेंज की मिसाइल, जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलें और अन्य हथियार खरीदने की बजाए डीआरडीओ में ही इन्हें देश की रक्षा के लिए तैयार करे।

सूत्रों ने कहा कि डीएसी बैठक में चर्चा के दौरान शॉर्ट रेंज सर्फेस टू एयर मिसाइल्स (एसआरएसएएम) के अधिग्रहण का मामला उठा था। सरकार को तय करना था कि विदेशी मिसाइल सिस्टम आयात करें या फिर स्वदेशी आकाश सर्फेस टू एयर मिसाइल सिस्टम इस्तेमाल करें। तब रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने स्वदेशी विकल्प चुना।

भारतीय सेना के शीर्ष सूत्रों ने पुष्टि की है इन स्वदेशी मिसाइलों को पाकिस्तान और चीन सीमा पर तैनात किया जाएगा।  सेना ने बताया कि वे आकाश मिसाइलों का इस्तेमाल दुश्मनों की ओर से आने वाले विमानों और मानव रहित ऐरियल वीहिकल के खिलाफ संरक्षण के लिए करेगी।

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