भारत में किसान आंदोलन लंबे समय से चल रहा है। किसानों ने इस बीच दिवाली, नया साल और लोहड़ी सड़कों पर ही मनाई। सरकार और किसानों के बीच वार्ता भी ठप पड़ी है। इसी बीच यूके की संसद में भारत में चल रहा किसान आंदोलन का मुद्दा उठाया गया। इसपर 8 मार्च को शाम 4.30 बजे 90 मिनट तक बहस हुई। बहस के बीच सांसदों ने कहा कि, ये भारत का आंतरिक मामला है। इसपर किसी बाहरी सांसद की टिप्पणी सही नहीं होगी।

बता दें कि, लंबे समय से चल रहा किसान आंदोलन लोगों के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है, इसी को लेकर एक ऑनलाइन पेटिशन साइन कराया गया यूके की संसद में चर्चा लोगों को मिले समर्थन के बाद हुई है। इस पेटिशन में ब्रिटिश सरकार से अपील की गई थी कि वो भारत सरकार पर आंदोलनरत किसानों की सुरक्षा और प्रेस फ्रीडम को सुनिश्चित करने के लिए दबाव बनाए। ये पेटिशन नवंबर महीने में शुरू हुई थी। जिस पर 1 लाख से भी ज्यादा लोगों ने साइन किए थे। मिली सूचना के अनुसार इस पेटीशन पर करीब 1.16 लाख लोगों ने सिग्नेचर किए हैं।

चर्चा लंदन स्थित पोर्टकुलिस हाउस में संपन्न हुई। कोविड प्रोटोकॉल के चलते कुछ सांसदों ने घर से ही डिजिटल माध्यम से इसमें हिस्सा लिया, कुछ सांसद पार्लियामेंट में फिजिकली मौजूद रहे। किसान आंदोलन को सबसे अधिक लेबर पार्टी का समर्थन मिला। लेबर पार्टी के 12 सांसदों जिसमें लेबर पार्टी के पूर्व नेता जेरेमी कोर्बीन (Jeremy Corbyn) भी शामिल थे, जिन्होंने इससे पहले एक ट्वीट करके किसानों का समर्थन किया था।

चर्चा में शामिल कंजर्वेटिव पार्टी की थेरेसा विलियर्स ने कहा कि, कृषि कानून या किसान आंदोलन भारत का अपना घरेलू मामला है इसपर किसी विदेशी संसद में चर्चा होना संभव नहीं है।

इस चर्चा पर जवाब देने के लिए प्रतिनियुक्त किए गए मंत्री निगेल एडम्स  ने कहा कि ‘कृषि सुधार भारत का अपना ‘आंतरिक मामला’ है, ब्रिटिश मंत्री और अधिकारी इस मुद्दे पर भारतीय समकक्षों से लगातार संपर्क में हैं और अविश्वसनीय रूप से काफी बारीकी तौर पर इस मुद्दे पर नजर रखे हुए हैं।’ उन्होंने उम्मीद जताई कि, भारत सरकार और किसानों के बीच जल्द ही वार्ती होगी जिसमे परिणाम अच्छा ही होगा

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