भारत में 24 घंटे के भीतर 3.24 लाख नए केस सामने आए हैं वहीं 2771 लोगों की मौत हो गई है। ऑक्सीजन के आकाल से जनता परेशान है। लोग अपनों को मरते देख रहे हैं। अस्पतालों में बेड़ मुश्किल से मिल रहा है। 200 मरीज पर एक डॉक्टर है। ऑक्सीजन की भारी किल्लत चल रही है। पर केंद्र सरकार पूरी तरह से खामोश है। देश राष्ट्रीय आपदा का सामना कर रहा है। लेकिन वैक्सीन के दाम वसूले जा रहे हैं। इस आपदा को लेकर केंद्र की तरफ से कोई कंट्रोल रुम नहीं बनाया गया है। जनता को नहीं पता कि, ऑक्सीजन न मिलने पर और वैक्सीन की किल्लत पर किससे बात करनी चाहिए।
हाईकोर्ट में ऑक्सीजन को लेकर सुनवाई चल रही है। कोरोना काल पर केंद्र सरकार से सवाल किया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार से इस आपदा को लेकर प्लान मांगा जा रहा है। सरकार अभी तक कोई भी नेशनल प्लान नहीं पेश कर पाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, यह राष्ट्रीय आपदा है। हम इस समय मुकदर्शक बनकर नहीं बैठ सकते हैं। कोर्ट ने आगे कहा कि, अस्पताल में मरीजों को भर्ती करने को लेकर राष्ट्रीय नीति चाहिए। वैक्सीन को लेकर केंद्र क्या कर रहा है।
बता दें कि, ताजा हालात बेहद नाजुक है। इस बात को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट केंद्र पर ही नही बल्की राज्य सरकारों को फटकार लगा रहा है। जस्टिस सांघी ने दिल्ली सरकार से पूछा कि क्या उन्होंने ऑक्सिजन सप्लायर्स के साथ बैठक की है। दिल्ली सरकार के एएसजी ने इस पर कहा, ‘हां, दो बार की गई है।’ इस पर अदालत ने कहा कि वह आउटकम के साथ सवा 12 बजे सुनवाई करेगी।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड, एलएन राव और एसआर भट्ट की बेंच ने तमिलनाडु सरकार को फटकार लगाते हुए कहा- वेंदाता द्वारा ऑक्सिजन के उत्पादन पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए। यह राष्ट्रीय आपदा का वक्त है।
बता दें कि, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि, सब को पता है देश भगवान भरोसे चल रहा है। दिल्ली जैसी जगह पर लोग ऑक्सीजन की कमी से मर रहे हैं। अगर सरकार चाह ले तो क्या नहीं कर सकती है। धरती को स्वर्ग बना सकती है।
गौरतलब है कि, देश में कोरोना के कारण इनती मौतें हो रही हैं कि, लाशों को जलाने के लिए श्मशान घाट कम पड़ गया है। नया श्मशान घाट बनाया जा रहा है। इनती बुरी स्थिती पर केंद्र सरकार मौन बैठी है। गृहमंत्री अमित शाह शांत हैं।