नये साल के बाद दिल्ली की हवा गंभीर प्रदूषण की चपेट में आ गई है। हवा में खतरनाक पार्टिकुलेट मैटर 2.5 और 10 भी आपात स्तर पर पहुंच गए हैं। यह स्थिति 48 घंटे लगातार रहती है तो दिल्ली-एनसीआर में सम-विषम भी लागू हो सकता है।

केंद्रीय एजेंसी सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) के मुताबिक हवा की गति ऐसी नहीं है, जो प्रदूषण कणों को बिखेर सके। बुधवार को सतह पर हवा की गति 3.1 किलोमीटर प्रति घंटा रिकॉर्ड की गई।

जबकि 4 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक गति वाली हवा प्रदूषण कणों को बिखेरने में सक्षम है। सतह से 800 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद रहने वाली मिक्सिंग हाईट (ऐसी लेयर जहां सभी कण मिलते हैं) भी सतह से बेहद करीब आ गई है।

सुबह का कोहरा और शाम की धुंध भी प्रदूषण को बढ़ाने वाली ही है। ऐसी प्रदूषित हवा में सुबह और शाम टहलने की मनाही के साथ श्रमसाध्य कार्य भी न करने की नसीहत दी गई है। एनसीआर में बुधवार को गुरुग्राम में प्रदूषण का स्तर सबसे अधिक रिकार्ड किया गया है।

सर गंगाराम के मेडिसिन विभाग के डॉ. नकुल गुप्ता ने बताया कि ऐसी हवा का दुष्प्रभाव हर उम्र वर्ग के लोगों पर पड़ता है। खासतौर से लोगों को श्वसन और जीवनशैली संबंधी बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।

एन-95 गुणवत्ता वाला मास्क पहनकर ही पार्टिकुलेट मैटर 2.5 और 10 के कणों से बचाव संभव है। केंद्रीय सरकारी एजेंसियां भी इस मास्क का सुझाव दे रही हैं। वहीं, खासतौर से बच्चों और बुजुर्गों को इसका इस्तेमाल जरूर करना चाहिए।

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