एक चाय बेचने वाले लड़के की कहानी पीएम मोदी द्वारा देश की जनता ने खूब सुनी होगी। आज वो चाय बेचने वाला लड़का देश की राजनीति में कहां है, ये सभी को पता है। ऐसे में अब एक अखबार बेचने वाले लड़के ने देश की राजनीति में अहम् भूमिका निभाई है। इसको लेकर कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने हैं। दरअसल, 2013 में जब राहुल गांधी भोपाल आए थे तब उन्होंने अखबार बेचने वाले नाबालिग कौशल शाक्य को पढ़ने के लिये मदद करने का वादा किया था। लेकिन राहुल अपने वादे को भुल बैठे और कौशल की शिक्षा-दीक्षा की कोई खोज-खबर नहीं ली। ऐसे में भाजपा ने इसे मुद्दा बनाते हुए कांग्रेस पर कई आरोप लगाए। कैबिनेट मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि ‘सारा ड्रामा अब सामने आ चुका है। कांग्रेस ने कौशल की पढ़ाई के लिए मदद करने को कहा था लेकिन हकीकत अब सामने आ चुकी है। कौशल और उसका परिवार आज भी दरिद्रता का जीवन जी रहा है।

बता दें कि उस वक्त राहुल ने उससे पूछा था कि तुम पढ़ने जाते हो। इस पर कौशल ने कहा कि उसके पास इतने पैसे नहीं कि वो पढ़ सके। यह सुन राहुल ने जेब से 1000 रुपये का नोट उसे दिया, पर कौशल ने सिर्फ एक रुपये मांगा, वो भी अखबार का। उसने 1000 रुपये का नोट लेने से मना कर दिया। कौशल की खुद्दारी राहुल को पसंद आई। उन्होंने कौशल की पढ़ाई का खर्च उठाने की घोषणा कर दी और हर माह एक हजार रुपये पढऩे के लिए देने का वादा किया। कुछ महीने तक तो सब ठीक था लेकिन बाद में फिर कांग्रेस उस लड़के को भुला बैठी।

सोमवार को करीब पांच साल बाद भाजपा ने प्रदेश कार्यालय में कौशल को प्रस्तुत किया। यहां कौशल ने मीडिया को बताया कि उसकी कोई पढ़ाई नहीं करवाई गई। वह एक दुकान पर काम करता है और उसके पिता एक दुर्घटना में घायल होने के बाद काम करने की स्थिति में भी नहीं है। उसने बताया कि कांग्रेस के लोगों ने 2013 से लेकर आज तक उसके परिवार की सुध नहीं ली।

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