देश में कोरोना कहर बनकर टूटा है। प्रवासी मजदूरों, एक राज्य से दूसरे राज्य पढ़ने गए छात्र, किसानों, और दिहाड़ी पर काम करने वाले मजूरों के लिए ये समय संकट भरा है। कोरोना के कारण देश की अर्थव्यवस्था पर भारी असर हो रहा है। बता दें कि, अर्ध लॉकडाउन और कोरोना कर्फ्यू के कारण ट्रांसपोर्ट सेक्टर को रोजाना 315 करोड़ का नुकसान हो रहा है। वहीं किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। मध्य प्रदेश के आगर मालवा में   MSP (समर्थन मूल्य) पर गेहूं खरीद रही कुछ संस्थाओं ने कोरोना संक्रमण के शासकीय गेहूं खरीद से मना कर दिया है।

मिली जानकारी के अनुसार, सुसनेर क्षेत्र में हालात बेहद पस्त हैं। प्राथमिक सहकारी संस्था के 2 केंद्रों के प्रबंधकों ने उच्च अधिकारियों को पत्र लिखकर खरीदी करने से इंकार कर दिया। ऐसे में इन केंद्रों पर पंजीकृत किसानों के सामने गेहूं की फसल बेचने का मुश्किल खड़ी हो गई है। बताया जाता है कि जिले अन्य सोसाइटीज ने भी खरीदी बंद करने के पत्र उच्च अधिकारियों को सौंप दिए हैं।

गौरतलब है कि 27 मार्च से शासन के द्वारा पूरे प्रदेश में MSP (समर्थन मूल्य) पर गेहूं की खरीदी शुरू की गई थी। तब से लेकर अब तक लोग गेहूं खरीदी का कम कर रहे थे लेकिन अचानक कोरोना के बढ़ते मामलों ने लोगों को परेशान कर दिया है। किसानों की गेहूं खरीदी में भारी कमी आई है। कोरोना के चलते चलते अब अधिकांश उपार्जन केन्द्रों पर सोमवार से गेहूं की खरीदी बंद की जा रही है।

मध्य प्रदेश में कोरोना का कहर जारी है। शिवराज सरकार ने लोगों से घर में रहने की अपील की है। सरकार ने नाइट कर्फ्यू और वीकेंड लॉकडाउन का सहारा लिया है। इसका असर दिहाड़ी मजदूरों और किसानों पर अधिक दिख रहा है।

बता दें कि 18 अप्रैल को मिले 17 तारीख के आंकड़ों के अनुसार, शहर के मुख्य विश्राम घाट और कब्रिस्तान में कोरोना प्रोटोकॉल के तहत 92 लोगों का अंतिम संस्कार किया गया था. हालांकि, सरकारी आंकड़ों में कोरोना से 3 मौत होना बताया गया था।

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