बहुजन समाज पार्टी की खामोशी और समाजवादी पार्टी के महागठबंधन फॉर्मूले के तहत कांग्रेस के लिये दो सीट छोडने के ऐलान के बीच देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों पर चुनाव मैदान में उतरने का मन बनाया है और इसके लिए तैयारी भी शुरू कर दी है। साल 2019 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ बडे दलों का महागठबंधन बनाने की कवायद में जुटने के बाद अब कांग्रेस अकेले दम पर चुनाव मैदान पर उतरने को बेकरार दिखती है।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने शुक्रवार को कहा कि पार्टी के ज्यादातर नेता वैसे भी समाजवादी पार्टी के साथ हाथ मिलाने को लेकर रजामंद नहीं थे हालांकि बसपा के साथ गठबंधन किया जा सकता था मगर बसपा अध्यक्ष मायावती की योजना अधिकतम सीटों पर पार्टी उम्मीदवारों को खडा रखने की थी ताकि त्रिशुंक लोकसभा के हालात में प्रधानमंत्री के तौर उनका दावा ज्यादा पुख्ता हो सके।
नेता ने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लडने का पार्टी का अनुभव तनिक कसैला रहा है। पार्टी को काफी कम सीटों पर संतोष रखना पडा था। हम उस गलती को फिर से दोहराना पसंद नहीं करेंगे। फिर भी पार्टी सपा के विरोध में जाना नही चाहेगी और ऐसा सपा को भी करना होगा ताकि देश में विपक्षी एकता को लेकर खराब संदेश न जाये।
उन्होंने कहा कि पार्टी गठबंधन को लेकर गंभीर है। बिहार में राष्ट्रीय जनता दल, पश्चिम बंगाल में अखिल भारतीय त्रिमूल कांग्रेस, महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ पार्टी आलाकमान की बातचीत चल रही है मगर उत्तर प्रदेश में हालात जुदा है। उन्होंने कहा कि सपा के साथ बातचीत की संभावनाओ पर पूर्ण विराम लगने के बावजूद बसपा के साथ पार्टी नेता आम सहमति बनाने के प्रयास कर रहे हैं।
हालांकि बसपा अध्यक्ष के रूख से फिलहाल कोई नतीजा हल होता नही दिख रहा है। दरअसल, मायावती देश भर में कांग्रेस से 100 सीटे मांग रही है जो संभव नहीं दिखता। यदि वह अपनी मांग को आधा नही करती है तो कांग्रेस चुनाव में अकेले उतरने को प्राथमिकता देगी।