गोवा में विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद मनोहर पर्रिकर के शपथ लेने पर सस्पेंस गहरा गया है। राज्यपाल से अनुमति मिलने के बाद पर्रिकर ने रक्षा मंत्री पद से इस्तीफा दिया और तय हुआ है कि मंगलवार शाम पांच बजे वे सीएम पद की शपथ लेंगे। राज्यपाल ने उन्हें 15 दिनों में बहुमत साबित करने का आदेश दिया है।

वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। होली के दिन याचिका दायर की गई थी। छुट्टी होने के बावजूद इसे स्वीकारा गया। कांग्रेस का आरोप है कि गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा को सबसे बड़े दल को पहले मौका देना चाहिए। बीजेपी को सरकार  बनाने का मौका देने से विधायकों की खरीद-फरोख्त को बढ़ावा मिलेगा।

Congress raises speculation on becoming chief minister of Parrikar -1

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे एस खेहर के निवास पर याचिका दायर की गई। न्यायमूर्ति खेहर ने याचिका स्वीकार कर मंगलवार को सुनवाई करने पर सहमति जताई। सुनवाई के लिए विशेष पीठ का गठन भी किया गया है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में होली पर एक सप्ताह की छुट्टी है। गोवा कांग्रेस विधायक दल के नेता चंद्रकांत कवलेकर की ओर याचिका दायर की गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि “अगर आप पहले राज्यपाल के पास अपने समर्थक दल के साथ जाते और फिर सुप्रीम कोर्ट आते को हमारे लिए फैसला लेना आसान होता। कोर्ट ने कहा कि अगर आपके पास समर्थन था तो पहले राज्यपाल के पास जाना चाहिए था। तो वहीं कांग्रेस के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि हम गोवा में सरकार बना सकते हैं। कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी है। राज्यपाल को इस मामले में सबसे बड़ी पार्टी से चर्चा करनी चाहिए थी।

गोवा में 40 विधानसभा सीटें हैं और सरकार बनाने के लिए 21 विधायकों का समर्थन जरूरी है। इसमें बीजेपी को 13, तो वहीं उसके समर्थक दल, एमजीपी और जीएफपी को भी 03-03 सीटें मिली हैं। बीजेपी ने दावा किया है कि 03 निर्दलीय भी उसके साथ हैं। इस तरह बीजेपी के पास 22 विधायक है। इसी आधार पर बीजेपी ने सरकार बनाने का दावा पेश किया है।

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