सोशल मीडिया पर आने वाली फर्जी खबरों पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियिम की धारा-79 में संशोधन करने जा रही है। सरकार ने कानून में बदलाव के लिए मसौदा तैयार कर लिया है। साथ ही सभी पक्षों की राय लेने के लिए इसका मसौदा जारी कर दिया है। विशेषज्ञ, आईटी पेशेवर समेत कोई भी व्यक्ति 15 जनवरी तक इस मसौदे पर अपनी राय सरकार को दे सकता है। सरकार द्वारा जारी मसौदे के मुताबिक सोशल मीडिया कंपनियों को 72 घंटे के अंदर सरकार के सवालों का जवाब देना होगा। इसके लिए कंपनियों को नोडल अधिकारियों की नियुक्ति करनी होगी और नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी कंपनी के प्रति हर पल अपडेट होने वाले संदेशों पर होगी।

मसौदे में कहा गया है कि कंपनियों को मैसेज का एनक्रिप्शन (एक से दूसरे सिरे तक संरक्षित) सरकार को देना होगा।  कंपनी को 50 लाख प्रयोगकर्ता से ज्यादा तादाद में होने पर भारत में पंजीकरण कराना होगा और 180 दिन तक डेटा रखना होगा। आईटी मंत्रालय का कहना है कि यह कवायद सोशल मीडिया पर रोजाना आने वाली फर्जी खबरों पर अंकुश लगाने की है। मसौदे पर सरकार के लिए विभिन्न पक्षों की राय अहम है जिसके लिए मसौदे को मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी किया गया है और 15 जनवरी तक राय मांगी गई है।

मसौदे के मुताबिक किसी कानून का उल्लंघन करने वाले, उत्पीड़न करने वाले, देश की एकता-अखंडता या सौहार्द को नुकसान पहुंचाने वाले, आपत्तिजनक या अश्लील सामग्री का सोशल मीडिया में पोस्ट किया जाना प्रतिबंधित होगा। सरकार का मानना है कि इसके जरिए व्हाट्सऐप, फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडया प्लेटफार्म पर आने वाले भड़काऊ, फर्जी संदेशों या खबरों पर पूरी तरह से रोक लगेगी। विभिन्न पक्षों की राय मिलने के बाद सरकार आईटी एक्ट इंटरमीडियटरी नियम लेकर आएगी। हालांकि मसौदे में उल्लंघन के बाद की जाने वाली कार्रवाई का कोई ब्यौरा नहीं दिया गया है।

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