बाल विवाह पर नकेल कसने की कोशिश में केंद्र सरकार, इस राज्य में सबसे अधिक होता है बाल विवाह

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Child marriage bill in lok sabha
Child marriage bill in lok sabha

बाल विवाह पर केंद्र रोक लगाने के लिए कोशिश कर रही है। Central Cabinet ने देश में अब बेटियों की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है। बुधवार को Cabinet Meeting में इस प्रस्ताव को पास किया गया। प्रधानमंत्री Narendra Modi ने 15 अगस्त 2020 को लाल किले के अपने संबोधन में लड़कियों की शादी की उम्र 21 साल करने की बात की थी, उन्होंने कहा था कि, बेटियों को कुपोषण से बचाने के लिए जरूरी है कि उनकी शादी उचित समय पर की जाए।

तीन राज्यों में सबसे अधिक बाल विवाह

केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम के बाद दावा किया जा रहा है कि बाल विवाह से बच्चियों को मुक्ति मिलेगी। साथ ही देश में बाल विवाह में कमी आएगी। इस बीच राजस्थान की चर्चा होने लगी है। क्योंकि भारत में राजस्थान ऐसा राज्य है, जहां पर सबसे अधिक बाल विवाह होता है और भारत दुनिया का पहला देश है जहां पर सबसे अधिक बच्चियां बाल विवाह का शिकार बनती हैं।

यूनीसेफ की रिपोर्ट 2019 के अनुसार भारत में सबसे अधिक बाल विवाह होता है, इसमें राजस्थान, पश्चिम बंगाल और बिहार में संख्या सबसे अधिक है। तीन राज्यों में 40 फीसदी परिवार बाल विवाह से प्रभावित हैं। वहीं 2006 से लेकर 2019 तक देश में बाल विवाह में 20 फीसदी कमी आई है।

यूनीसेफ ने 2019 की अपनी रिपोर्ट में बताया है कि राजस्थान के 16 जिले दौसा, जोधपुर, भीलवाड़ा, चूरू, झालावाड़, टोंक, उदयपुर, करौली, अजमेर, बूंदी, चितौडगढ़, मेड़ता-नागौर, पाली, सवाईमाधोपुर, अलवर व बारां बाल विवाह की दृष्टि से संवेदनशील है। राज्य में बाल विवाह जैसी कुरीतियां खत्म नहीं हुई। लेकिन दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होने के मामले कम ही सामने आते हैं।

1929 से अब तक हो चुके हैं कई संशोधन

1929 में महिलाओं के लिए विवाह की आयु (Marriage Age of Girls) 14 वर्ष थी। 28 सितम्बर 1929 को Child Marriage Restraint Act पास किया गया था जिसमें औरतों की उम्र 14 और पुरुषों की उम्र 18 वर्ष थी। यह एक्ट ब्रिटिश सरकार द्वारा लागू किया गया था।

1978 में पूर्व न्यायधीश Har Bilas Sarda द्वारा भी विवाह संबंधित एक बिल जारी किया गया था जिसमें औरतों की उम्र (Marriage Age of Girls) 18 और पुरुषों की उम्र 21 वर्ष कर दी गई थी। यह बिल Sarda Law के नाम से जाना जाता था।

क्या कहता है कानून?

इस संशोधन के बाद भी बाल विवाह को रोकने में सरकार नामाक साबित हो रही है। अब एक बार फिर संशोधन हुआ है। आने वाला समय ही बता पाएगा कि यह संशोधन कितना कारगार साबित हुआ है।

यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि बाल विवाह करवाना या इसकी किसी भी गतिविधि में भाग लेना कानूनन अपराध की श्रेणी में आता है। बाल विवाह कराने पर दो वर्ष की कैद व एक लाख रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है। इसके लिए बाल विवाह में हिस्सा लेने वाला प्रत्येक व्यक्ति दोषी माना जाता है।

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