प्रवासी भारतीयों के देश के चुनावों में मतदान देने संबंधी मामले में फैसला लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक हफ्ते का वक्त दिया है। कोर्ट ने केंद्र को यह बताने को कहा है कि वह एनआरआई को डाक मतपत्र या ई-मतपत्र से मतदान करने की अनुमति देने के लिए सिर्फ नियमों में बदलाव करेगी या फिर एक्ट में बदलाव करना होगा। कोर्ट ने सरकार को 21 जुलाई तक किसी निष्कर्ष तक पहुंचने को कहा है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो कुछ ही महीनों में प्रवासी भारतीय भी देश की राजनीति में मुख्य भूमिका निभाएंगे।

2014 में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि उसे चुनाव आयोग की वह सिफारिश मंजूर है जिसमें एनआरआई को वोट अधिकार देने की बात की गई है। रिपोर्ट के अनुसार एक करोड़ से ज्यादा एनआरआई इस तरह चुनाव में वोट डालने के हकदार हो जाएंगे। आकड़ों के मुताबिक कुल एक करोड़ 37 हजार एनआरआई हैं। इनमें यूएई में 17.50 लाख, यूके में 15 लाख, अमेरिका में 9.27 लाख, सऊदी अरब में 17.89 लाख, ऑस्ट्रेलिया में 2.12 लाख और कनाडा में 2 लाख एनआरआई रहते हैं।

चुनाव आयोग की कमेटी ने एनआरआई को वोट डालने के लिए ई-पोस्टल बैलेट की व्यवस्था की सिफारिश की है। बता दें कि प्रधान न्यायाधीश जे एस खेहर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने चुनाव आयोग की रिपोर्ट से सहमति जताई है कि एनआरआई को मतदान की अनुमति दी जा सकती है।

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