आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाला मामले में एक नया मोड़ आ गया है।  बंबई उच्च न्यायालय ने  कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक चव्हाण के खिलाफ मुकदमा चलाने की महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. विद्यासागर राव से सीबीआई को 2016 में मिली इजाजत आज रद्द कर दी। इस तरह चव्हाण को कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है और परिणामस्वरूप अब उनपर केस नहीं चलेगा। बता दें कि पिछले साल विद्यासागर राव ने आदर्श घोटाला मामले में सीबीआई को चव्हाण पर सीआरपीसी की धारा 197, आईपीसी की धारा 120-बी (षडयंत्र) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत मुकदमा चलाने के लिए अपनी मंजूरी दी थी। बॉम्बे हाई कोर्ट ने अशोक चव्हाण की याचिका पर यह फैसला सुनाया है।

यह मामला अक्तूबर 2015 को उठा जब सीबीआई ने चव्हाण के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी प्राप्त करने के वास्ते महाराष्ट्र के राज्यपाल सीएच विद्यासागर राव को और सबूत सौंपे। राज्यपाल राव ने अशोक चव्हाण के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति सीबीआई को दी और फिर राज्यपाल के आदेश के खिलाफ चव्हाण उच्च न्यायालय पहुंचे। अब बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा  ‘राज्यपाल को पूर्व राज्यपाल के फैसले की समीक्षा करने का अधिकार है, लेकिन नए सबूत सामने आने के आधार पर याचिकाकर्ता (अशोक चव्हाण) के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने का अधिकार नहीं है।’ जस्टिस रंजीत मोरे ने कहा कि ऐसे किसी मामले में राज्यपाल द्वारा मंजूरी देने के लिए जरूरी सामग्री केवल सीबीआई की जांच में सामने आई बातों तक सीमित नहीं है, बल्कि उनका सुनवाई के दौरान ठोस सबूत में बदलने में सक्षम होना भी जरूरी है।

पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके चव्हाण ने कोर्ट के आदेश के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि सच सामने आ गया, मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा था। उन्होंने इस पूरे मामले में भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि आदर्श सोसायटी घोटाले का 2014 में भाजपा ने राजनीतिक दुरुपयोग करते हुए कांग्रेस की छवि खराबी की। अब सच सबके सामने आ गया है।

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