दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार (22 दिसंबर) को भारत सरकार को निर्देश दिया कि चुनाव के दौरान सार्वजनिक स्‍थानों पर पोस्‍टर और स्‍टीकर लगाकर संपत्ति को विकृत करने से रोकने को लेकर वह स्वच्छ भारत अभियान की तरह ही एक व्यापक योजना तैयार करे।

हाईकोर्ट ने भारत सरकार को लोगों को दंड के बारे में सूचित करने का भी निर्देश दिया जो संपत्तियों को विकृत करने वालों पर लगाया जा सकता है।

दिल्ली हाईकोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ चुनाव आयोग द्वारा जारी दिशानिर्देश का पालन न करने के लिए DUSU चुनाव रद्द करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने संपत्ति को पोस्टर या लिखकर खराब करने के 18 दर्ज मामलों का भी जिक्र किया।

इस बात का संज्ञान लेते हुए बेंच ने अधिकारियों को इस मुद्दे पर विचार करने के लिए निर्देश दिया और कहा कि अधिकारियों को जनता को सूचित करने के लिए बड़े पैमाने पर प्रचार करना चाहिए कि शहर भर में सार्वजनिक संपत्तियों को विकृत करने के परिणाम क्या हो सकते हैं। बेंच ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि वह सुनवाई की अगली तारीख से पहले प्रस्तावित योजना के क्रियान्वयन में किसी भी तरह की कोताही को बर्दाश्त नहीं करेंगे।

याचिकाकर्ता ने पीठ को यह भी बताया कि  DUSU  चुनाव में चुनाव लड़ने वाले 23 छात्र बैठकों में भाग नहीं ले रहे हैं। इनके द्वारा ही संपत्तियों को खराब किया गया है और इसे साफ करने के काम में उनके सहयोग की ज़रुरत है। इस पर हाईकोर्ट ने उन 23 छात्रों को 12 जनवरी 2018 को अगली प्रस्तावित बैठक में शामिल होने का निर्देश दिया है।

हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को सभी विकृत सार्वजनिक संपत्तियों को साफ करने के लिए तुरंत कदम उठाने का निर्देश दिया और बैठक में भी इन दिशानिर्देशों को प्रस्तावित या लागू करने को कहा ताकि भविष्य में ऐसा कुछ न हो। निर्देशों में स्पष्ट रूप से सार्वजनिक संपत्ति को विकृत करने पर कानूनी परिणामों का उल्लेख होना चाहिए।

बेंच ने निर्देश दिया कि 12 जनवरी, 2018 को होने वाली बैठक में DMRC, PWD, MCD, GNCTD, DUSU board, DU, याचिकाकर्ता और अन्य संबंधित पक्ष हिस्सा लें। इस बैठक की कार्यवाही में जो कुछ होगा उसका रिकॉर्ड सुनवाई की अगली तारीख को कोर्ट में प्रस्तुत किया जाए।

बेंच ने 30 जनवरी 2018 को अगली सुनवाई की तारीख तय की है।

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