व्यापक परीक्षण के बाद सैन्य विमानों को देश में उत्पादित जैव ईंधन से उड़ाने की हरी झंडी मिल गई है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। सेंटर फॉर मिलिट्री एयरवर्दिनेस एंड सर्टिफिकेशन (सीईएमआईएलएसी) की मंजूरी मिलने के बाद भारतीय वायुसेना (आईएएफ) द्वारा जैव ईंधन का इस्तेमाल सबसे पहले अपने परिवहन बेड़े और हेलिकॉप्टरों में किए जाने की उम्मीद है।

रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘देश में उत्पादित जैव ईंधन को अंतत: हवाई इस्तेमाल प्रमाणन एजेंसी से इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है।’’ आईएएफ के एक अधिकारी ने कहा कि इस मंजूरी के बाद वायुसेना 26 जनवरी को पहली बार आईएएफ एन-32 विमान को मिश्रित जैव और जेट ईंधन के साथ उड़ाने की प्रतिबद्धता पूरी कर सकेगी।

अधिकारी ने कहा कि यह मंजूरी इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि इससे अंतत: लगातार परीक्षण और जैव ईंधन के वाणिज्यिक स्तर के नागरिक विमान में इस्तेमाल को लेकर पूर्ण सत्यापन मिल सकेगा। अधिकारी ने बताया कि सीईएमआईएलएसी ने मंगलवार को हुई बैठक में जैव ईंधन पर विभिन्न परीक्षणों पर विस्तार से चर्चा की। ये परीक्षण शीर्ष राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सत्यापन एजेंसियों द्वारा सुझाई गई प्रक्रिया के हिसाब से किए गए हैं।

रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सभी सैन्य और नागरिक विमानों में जेट ईंधन के इस्तेमाल के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने आईएएफ, शोध संगठनों तथा उद्योग के साथ मिलकर एटीएफ के लिए नए मानदंड बनाए हैं। इससे भारतीय मानदंड मौजूदा अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप हो जाएंगे। जैव -जेट ईंधन छतीसगढ़ में पैदा होने वाले जट्रोफा पौधे के बीजों से उत्पादित किया जाता है।

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