बिहार में बालू और गिट्टी पर संकट बना रहेगा। पटना हाईकोर्ट ने बिहार लघु खनिज नई नियमावली 2017 पर रोक लगा दी है। साथ ही पुरानी नियमावली के तहत काम करने का आदेश दिया है। इसके अलावा मामले को विस्तृत सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया है।

बता दें कि इस मामले में  कोर्ट ने सभी पार्टी को अपना-अपना लिखित पक्ष दायर करने को कहा है। मामले पर जल्द सुनवाई करने के लिए कोर्ट से अनुरोध करने की छूट दी है।

दरअसल पटना हाईकोर्ट ने सोमवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र मेनन, न्यायमूर्ति डॉ.अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने राजेंद्र सिंह अन्य की इस नियमावली की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को विस्तृत सुनवाई के लिए स्वीकृत किया और तत्काल नियमावली पर रोक लगा दी। सरकार ने अवैध खनन इस कारोबार में माफियागिरी को रोकने के लिए 10 अक्टूबर 2017 को यह नियमावली बनाई थी। इसके खिलाफ कारोबारी कोर्ट आए हैं। चीफ जस्टिस के नेतृत्व वाली खंडपीठ ने दोनों पक्षों को सुना।

नियमावली को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं की शिकायत है कि यह नियमावली जल्दीबाजी में बनाई गई। इसमें खननकर्ताओं को लीज निबंधन कराने का स्पष्ट प्रावधान नहीं है। अवैध खनन की कार्रवाई कानूनन खननकर्ता पर होती है लेकिन इस कार्रवाई में ट्रांसपोर्टर को भी लपेट लिया जाता है।

याचिकाकर्ताओं की तरफ से बहस करते हुए वरीय अधिवक्ता पी.के.शाही, विनोद कुमार कंठ, वाई.बी.गिरी ने इन बातों का जिक्र किया। उनका कहना था कि यह नियमावली इस कारोबार से जुड़े लोगों को बेवजह में परेशान करने के लिए है। पूरे कारोबार को चौपट करने वाला है। सरकार का पक्ष रखते हुए महाधिवक्ता ललित किशोर ने इन बातों को खारिज किया। उन्होंने बताया कि नियमावली के मूल उद्देश्य बालू, गिट्टी, मिट्टी कारोबार को रेगुलेट करना है। अवैध खनन को रोकना है ताकि सभी पक्षों को फायदा हो।

लेकिन अब हाईकोर्ट जब तक अपने रोक के आदेश को वापस नहीं लेता है तब तक पुरानी नियमावली के तहत खनन का काम होगा। पुरानी नियमावली के तहत खनन का लाइसेंस देना जरुरी है। इसकी एक प्रकिया होती है, जिसमें समय लगेगा। हालांकि कुछ जिलों में खनन के लाइससेंस को भी सरकार ने रद्द कर दिया है। इसे भी हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है।

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