भगवान कृष्ण ने दुनिया को दिया था गीता का ज्ञान  लेकिन उसी कान्हा की नगरी मथुरा में आज पसरा है अज्ञानता का अंधेरा।  भगवान कृष्ण की नगरी में आज शिक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे हैं। शिक्षा की दुर्दशा की ऐसी तस्वीर शायद ही आपने पहले कभी देखी होगी।  दरअसल ये नजारा है मथुरा के गोवर्धन कस्बा के पूर्व माध्यमिक स्कूल का। इस स्कूल के सामने कूड़े का अंबार लगा है।  ये स्कूल किसी कूड़ाघर की तरह नजर आ रहा है। शिक्षा के इस मंदिर में कूड़े की वजह से इतनी बदबू आती है कि यहां पढ़ाई करना मुहाल रहता है। बच्चें यहां आना नहीं चाहते। हाल ये है कि इस स्कूल में 34 बच्चों का एडमिशन है लेकिन महज 14-15 बच्चे ही आ रहे है। मारे बदबू के यहां सांस लेना मुश्किल है।

दरअसल इस स्कूल के सामने हमेशा जल जमाव की स्थिति बनी रहती थी। ऐसे में स्कूल प्रबंधन और ग्राम पंचायत ने इस पानी भरे गड्डे को भरने के लिए जो तरकीब निकाली वो हैरान करने वाला है। एक महीने से स्कूल परिसर के गड्डे को भरने के लिये कस्बे की गंदगी ट्रैक्टरों के जरिए लाकर स्कूल परिसर में भरा जा रहा है।

चलिए ये तो हुई स्कूल परिसर की दुर्दशा की बात, लेकिन पूर्व माध्यमिक स्कूल के अंदर के हालात भी अच्छे नहीं हैं।  स्कूल की बिल्डिंग जर्जर हो रही है।  बच्चों के बैठने के लिए यहां बेंच और डेस्क तक नहीं है।  जमीन पर बैठकर बच्चे पढ़ रहे हैं।  यहां एक प्रिंसिपल और तीन सहायक अध्यापिका तैनात हैं।  फिलहाल प्रिंसिपल महोदय स्वास्थ्य कारणों से छुट्टी पर है।  और स्कूल बाकी टीचरों के लिए मस्ती की पाठशाला बनी हुई है। जब हम स्कूल का जयजा लेने के लिए पहुंचे तो यहां महज एक ही शिक्षिका मौजूद थी।  ऐसे में 6,7 और 8, तीनों ही क्लास के बच्चों की एक ही रूम में बैठा कर संयुक्त रूप से पढ़ाया जा रहा था।  यहां बच्चों को दी जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता कैसी है ये आप जानेंगे तो आपको भी हमारी तरह बड़ी निराशा होगी। बच्चों को देश के प्रधानमंत्री और उनके सूबे के मुख्यमंत्री तक का नाम पता नही था।

चलिए अब आपको कृष्णनगरी मथुरा में बेसिक शिक्षा की बदहाली की बात बताते हैं। ये कहानी है विकास खंड गोवर्धन के नगला उम्मेद के प्राथमिक स्कूल की।  यहां एक प्रिंसिपल , एक सहायक शिक्षक और एक शिक्षामित्र तो तैनात है लेकिन इस प्राथमिक स्कूल की सबसे बड़ी विडंबना है कि यहां पढने के लिए एक भी छात्र नहीं है। पिछले दो सालों से इस स्कूल में एक भी छात्र का रजिस्ट्रेशन तक नहीं हुआ है।

सरकारी स्कूलों की खराब छवि और गांव के लोगों की सरकारी स्कूलों के प्रति उदसीनता की वजह से कोई अपने बच्चों को यहां नहीं पढ़ाना चाहता है।  हाल ये है कि स्कूल रोजाना खुलता तो है लेकिन स्टूडेंट नहीं होने की वजह से शिक्षक और स्टाफ टाइम पास कर घर लौट आते हैं।

दुनिया को गीता का ज्ञान देने वाले भगवान की कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में शिक्षा की दुर्दशा बताती है कि हमने अपने पुराने गौरव को भुला दिया है और सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था को भगवान भरोसे छोड़ दिया है। ये स्थिति सरकारी स्कूली व्यवस्था के लिए बड़ी चेतावनी है।

—एपीएन ब्यूरो

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here