बीएचयू विवाद में आखिरकार वाइस चांसलर गिरीश चंद्र त्रिपाठी पर गाज गिरी है। लाठीचार्ज को लेकर बयान देने वाले यूनिवर्सिटी के कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी के खिलाफ एक्शन लेते हुए उनके सारे अधिकार छीन लिए गए हैं वहीं चीफ प्रॉक्टर ने घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद से इस्तीफा दे दिया है।

बता दें कि कमिश्नर ने मंगलवार को ही इस मामले की जांच रिपोर्ट सौंपी थी और उसमें पूरी घटना के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया था। यूपी के मुख्य सचिव राजीव कुमार को सौंपी रिपोर्ट में वाराणसी के कमिश्नर ने बीएचयू प्रबंधन पर सवाल खड़े किए हैं।

BHU University Vice-Chancellor Girish Chandra Tripathi has been stripped of all rightsउसके बाद ही चीफ प्रॉक्टर ओएन सिंह ने इस पूरी घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मंगलवार की देर रात अपने पद से इस्तीफा दे दिया। वाइस चांसलर जीसी त्रिपाठी ने उनका इस्तीफा मंजूर भी कर लिया है। नियमानुसार अब 30 सदस्यीय प्रॉक्टोरियल बोर्ड भंग हो गया है। अब सवाल यह है कि क्या वीसी पर भी कोई कार्रवाई होगी?

चीफ प्रॉक्टर के इस्तीफे के बाद अब सवाल है कि विश्वविद्यालय का मुखिया होने के नाते क्या कुलपति गिरिश चंद्र त्रिपाठी भी पूरे मामले की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देंगे? वीसी के अभी तक के बयानों और व्यवहार पर नजर डालें तो साफ पता चलता कि वो अभी कुछ और रिपोर्ट के इंतजार में हैं।

इससे पहले दिल्ली में एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक में यह मुद्दा उठा। बैठक में कैंपस में छात्राओं की सुरक्षा बढ़ाने पर चर्चा की गई। इस बैठक में बीएचयू के वीसी जीसी त्रिपाठी ने भी हिस्सा ले लिया है। इस बैठक में तय किया गया कि पुराने सुरक्षा नियमों में बदलाव किया जाए और बवाल के लिए जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।

23-24 सितंबर की रात बीएचयू में छात्र-छात्राओं पर हुए लाठीचार्ज के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन बाहरी ताकतों पर इल्जाम लगा रहा था। लेकिन वाराणसी कमिश्नर की रिपोर्ट ने यूनिवर्सिटी के दावों पोल खोल दी।

वहीं आज उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य  बनारस जाकर खुद बीएचयू के छात्रों  से बातचीत करेंगे और स्तिथि का जायजा लेंगे। बता दें कि उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने बीएचयू परिसर में माहौल खराब होने का आरोप कुछ बाहरी लोगों पर लगाया है। मौर्य का कहना है कि इनमें बीएचयू के बच्चे कम हैं जबकि, राजनीतिक इशारे पर काम करने वाले ही विश्वविद्यालय परिसर का माहौल खराब कर रहे हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here