अपनी कमाई बढ़ाने के चक्कर में आए दिन बैंक।  ग्राहकों को चूना लगाने में लगे हैं।  एटीएम पर जहां पहले बैंकों ने ट्रांजेक्शन पर लगाम लगा दी हैं, वहीं गैर वित्तीय ट्रांजेक्शन करने पर लोगों की बिना बताए जेब काटी जा रही है। ऐसा काम देश के सभी प्रमुख निजी और सरकारी बैंक कर रहे हैं।  वहीं एटीएम पिन जेनरेट करने पर भी बैंक लोगों को चपत लगा रहा। ग्राहकों को लगता है कि एटीएम में नया पिन नंबर जेनरेट करना सरल है। ज्यादातर ग्राहकों के पास ऑनलाइन बैंकिंग की सुविधा नहीं है, खासतौर पर देश के छोटे शहरों और कस्बों में। ऐसे में बैंकों पिन जेनरेट के लिए बैंक का रुख करते हैं और बैंक बिन जेनरेट करने के लिए शुल्क वसूल रहा है।

भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक सबसे ज्यादा वसूली कर रहे हैं। पीएनबी 50 रुपये, एसबीआई 51 रुपये, आईसीआईसीआई बैंक 25 रुपये और एचडीएफसी बैंक 59 रुपये चार्ज कर रहे हैं। खास बात ये है कि जब आप पिन री-जेनरेट करते हैं, उस समय बैंक आपको चार्ज का अलर्ट नहीं देते हैं। बैंक बाद में इसे आपके अकाउंट से काट लेते हैं। बैंकों का तर्क है कि वो ग्राहकों से कह रहे हैं कि वो अपने एटीएम पिन को नेट बैंकिंग या फिर मोबाइल बैंकिंग के माध्यम से जेनरेट करें, जिस पर किसी तरह का कोई चार्ज नहीं लगता है।

कुछ दिन पहले ही बैंक ने ट्रांजेक्शन को लेकर आरबीआई को प्रस्ताव दिया। बैंकों ने आरबीआई को जो प्रस्ताव दिया है उसके मुताबिक प्रत्येक ग्राहक को हर महीने मिलने वाले मुफ्त ट्रांजेक्शन की संख्या को घटाया जा सकता है। अभी ज्यादातर बैंक कुल मिलाकर 8 ट्रांजेक्शन मुफ्त देते हैं, जिनमें 5 अपनी बैंकों पर और 3 अन्य बैंकों पर मिलते हैं। इनको घटाकर के कुल 5 किया जा सकता है। बैंक इसके अलावा एटीएम पर होने वाले नॉन बैंकिंग ट्रांजेक्शन की फीस को भी 18 रुपये से बढ़ाना चाहते हैं। ये बढ़कर के 25 रुपये तक हो सकती है। इस फीस को 2012 में तय किया गया था और तब से इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है।

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