उत्तर प्रदेश के बलिया में सरकारी कोटा के तहत लोगों को दुकान आवंटित करने के लिए एक सभा बुलाई गई थी। इसी दौरान कुछ दबंगों ने ताबड़तोड फायरिंग कर दी इसमें एक ग्रामीण की मौत भी हो गई। खबर के अनुसार सभा में पुलिस भी मौजुद थी। ये कांड उत्तरप्रदेश पुलिस की मौजुदगी में हुआ है। मामले में 8 लोगों के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है और आरोपियों की गिरफ्तारी का प्रयास कर रही है। पीड़ित परिवारों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाया है,उन्होंने कहा आरोपियों को भगाने का काम पुलिस ने किया है।

गोली कांड में 25 लोग शामिल

गोलीबारी के मामले में 8 नामजद हैं, जबकि 25 अज्ञात हैं, लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। मौके पर मौजूद पुलिस वालों पर आरोपी को पकड़ने के बाद फरार करवाने का आरोप लगाया है। इस पर उत्तर प्रदेश के पुलिस उप महानिरीक्षक सुभाष चंद दुबे ने कहा कि आरोपी धीरेंद्र सिंह को पकड़ा गया था, वो फरार कैसे हो गया, इस मामले में भी कार्यवाही की जाएगी।

एक्शन में योगी

घटना पर संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एसडीएम, सीओ और मौके पर मौजूद कई पुलिसकर्मियों को सस्पेंड करने का निर्देश दिया है। वहीं मामले को लेकर विपक्ष ने राज्य में सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाया है।

विपक्ष का हमला

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मामले को लेकर सरकार पर निसाना साधा और ट्वीट किया, “बलिया में सत्ताधारी भाजपा के एक नेता के, एसडीएम और सीओ के सामने खुलेआम, एक युवक की हत्या कर फरार हो जाने से उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था का सच सामने आ गया है। अब देखें क्या एनकाउंटरवाली सरकार अपने लोगों की गाड़ी भी पलटाती है या नहीं।”


यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने ट्वीट किया, “उत्तर प्रदेश में बलिया की हुई घटना अति-चिन्ताजनक तथा अभी भी महिलाओं व बच्चियों पर आए दिन हो रहे उत्पीड़न आदि से यह स्पष्ट हो जाता है कि यहां कानून-व्यवस्था काफी दम तोड़ चुकी है। सरकार इस ओर ध्यान दे तो यह बेहतर होगा। बीएसपी की यह सलाह।”

बता दे कि हाथरस कांड पर योगी सरकार चारों तरफ से घिरी हुई है। ये मामला शांत नहीं हुआ कि योगी सरकार एक और मामले में फंस गई है। उत्तरप्रदेश में हो रहे अपराध की खबरों से अखबार के पन्ने सजे रहते हैं।

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