Atal Bihari Vajpayee Jayanti 2021: वो प्रधानमंत्री जिनकी कविताएं पत्थरों में भी जान डाल देती थीं

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Atal Bihari Vajpayee
Atal Bihari Vajpayee

आज पूर्व प्रधानमंत्री Atal Bihari Vajpayee जी की जयंती है। उनका जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था। Atal Bihari Vajpayee तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहे। सार्वजनिक जीवन में इनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने साल 2015 में देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया था।

Atal Bihari Vajpayee देश के प्रधानमंत्री रहने के साथ-साथ एक कोमल हृदय वाले कवि भी थे। इन्होनें अपने जीवन में बहुत सी कविताएं लिखीं। उनकी जयंती पर आज पूरे देश में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें कवि सम्मेलन भी शामिल है।

Atal Bihari Vajpayee
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Atal Bihari Vajpayee की 5 अटल कविताएं

मौत से ठन गई

ठन गई!
मौत से ठन गई!

जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,

रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
यूं लगा जिंदगी से बड़ी हो गई।

मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
जिंदगी सिलसिला, आज कल की नहीं।

मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं,
लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं?

तू दबे पांव, चोरी-छिपे से न आ,
सामने वार कर फिर मुझे आजमा।

मौत से बेखबर, जिंदगी का सफ़र,
शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर।

बात ऐसी नहीं कि कोई ग़म ही नहीं,
दर्द अपने-पराए कुछ कम भी नहीं।

प्यार इतना परायों से मुझको मिला,
न अपनों से बाक़ी हैं कोई गिला।

हर चुनौती से दो हाथ मैंने किए,
आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए।

आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान है,
नाव भंवरों की बांहों में मेहमान है।

पार पाने का क़ायम मगर हौसला,
देख तेवर तूफ़ां का, तेवरी तन गई।

मौत से ठन गई।

राह कौन सी जाऊं मैं?

atal behari vajpayee

चौराहे पर लुटता चीर
प्यादे से पिट गया वजीर
चलूं आखिरी चाल कि बाजी छोड़ विरक्ति सजाऊं?
राह कौन सी जाऊं मैं?

सपना जन्मा और मर गया
मधु ऋतु में ही बाग झर गया
तिनके टूटे हुये बटोरू या नवसृष्टि सजाऊं मैं?
राह कौन सी जाऊं मैं?

दो दिन मिले उधार में
घाटों के व्यापार में
क्षण-क्षण का हिसाब लूं या निधि शेष लुटाऊं मैं?
राह कौन सी जाऊं मैं ?

दुनिया का इतिहास पूछता

Atal Bihari Vajpayee

दुनिया का इतिहास पूछता,
रोम कहाँ, यूनान कहाँ?
घर-घर में शुभ अग्नि जलाता।
वह उन्नत ईरान कहाँ है?
दीप बुझे पश्चिमी गगन के,
व्याप्त हुआ बर्बर अंधियारा,
किन्तु चीर कर तम की छाती,
चमका हिन्दुस्तान हमारा।
शत-शत आघातों को सहकर,
जीवित हिन्दुस्तान हमारा।
जग के मस्तक पर रोली सा,
शोभित हिन्दुस्तान हमारा।

हिरोशिमा की पीड़ा

Today is the 93rd birthday of former Prime Minister Atal Bihari Vajpayee
Atal Bihari Vajpayee

किसी रात को
मेरी नींद चानक उचट जाती है
आँख खुल जाती है
मैं सोचने लगता हूँ कि
जिन वैज्ञानिकों ने अणु अस्त्रों का
आविष्कार किया था
वे हिरोशिमा-नागासाकी के भीषण
नरसंहार के समाचार सुनकर
रात को कैसे सोए होंगे?
क्या उन्हें एक क्षण के लिए सही
ये अनुभूति नहीं हुई कि
उनके हाथों जो कुछ हुआ
अच्छा नहीं हुआ!

यदि हुई, तो वक़्त उन्हें कटघरे में खड़ा नहीं करेगा
किन्तु यदि नहीं हुई तो इतिहास उन्हें
कभी माफ़ नहीं करेगा!

दो अनुभूतियाँ

पहली अनुभूति:

गीत नहीं गाता हूँ

बेनक़ाब चेहरे हैं,
दाग़ बड़े गहरे हैं
टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ
लगी कुछ ऐसी नज़र
बिखरा शीशे सा शहर

अपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ

पीठ मे छुरी सा चांद
राहू गया रेखा फांद
मुक्ति के क्षणों में बार बार बंध जाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ

Former Prime Minister Atal Bihari Vajpayee admitted in AIIMS, Doctors said that condition is stable

दूसरी अनुभूति:

गीत नया गाता हूँ

टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर
पत्थर की छाती मे उग आया नव अंकुर
झरे सब पीले पात
कोयल की कुहुक रात

प्राची मे अरुणिम की रेख देख पता हूँ
गीत नया गाता हूँ

टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी
अन्तर की चीर व्यथा पलको पर ठिठकी
हार नहीं मानूँगा,
रार नई ठानूँगा,

काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूँ
गीत नया गाता हूँ

Atal Bihari Vajpayee Is alive and People gave tribute

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