सौम्य और मृदुल व्यवहार के शहंशाह, लोगों के दिलों पर राज करने वाले भारत रत्न पूर्व प्रधानंमत्री अटल बिहारी वाजपेयी हमेशा के लिये चिरनिद्रा में सो गये। पिछले 9 साल से बीमार चल रहे अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी आखिरी सांस दिल्ली के एम्स अस्पताल में ली। जहां वे यूरिन, सीने और किडनी में इंफेक्शन की शिकायत के चलते बीते 11 जून से भर्ती थे। 15 अगस्त की शाम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एम्स में उनका हालचाल जानने पहुंचे थे, क्योंकि पिछले 24 घंटे में पूर्व प्रधानमंत्री की तबियत काफी बिगड़ गई थी और वे लाइफ सपॉर्ट सिस्टम पर थे। अटल के नहीं रहने की खबर से उनके चाहनेवालों में गम का बसेरा है। नेताओं और समर्थकों के चेहरे गमगीन हैं।

अपनी नीतियों पर अटल रहनेवाले हर दिल अजीज अटल बिहारी वाजपेयी की खासियतों ने उन्हें भीड़ से हमेशा अलग बनाये रखा। उन्होंने देश के करोड़ों लोगों के आशीर्वाद और प्यार के बलबूते उनके दिलों पर राज किया। अटल-आडवाणी की सुपरहिट जोड़ी ने बीजेपी को सत्ता के शिखर पर पहुंचाया। 13 अक्टूबर 1999 को उन्होंने लगातार दूसरी बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की नई गठबंधन सरकार के प्रमुख के रूप में भारत के प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया। वे 1996 में बहुत कम समय के लिए प्रधानमंत्री बने थे। पंडित जवाहर लाल नेहरू के बाद वह पहले ऐसे नेता हैं जो लगातार दो बार प्रधानमंत्री बने।

अटल बिहारी देश के उन चुनिन्दा राजनेताओं में से हैं जिन्हें दूरदर्शी माना जाता है। अपने राजनीतिक करियर में ऐसे कई फैसले लिए जिसने देश और उनके खुदके राजनीतिक छवि को काफी मजबूती दी। पोकरण में परमाणु परीक्षण कर अमेरिका की धमकियों के आगे झुकने की बजाय उसे ठेंगा दिखाया। अपने फैसलों पर अटल और अडिग रहनेवाले इस अनमोल व्यक्तित्व को हर किसी ने सलाम किया।

नाम के अनुरूप ही अपने वादों पर अटल रहने वाले अटल ने संसद के गलियारों से लेकर विपक्षी दलों के नेताओं और देश, विदेश में अपनी धाक जमाई। अपने लच्छेदार भाषणों से नेताओं की भीड़ में खास बने। उनके शब्दों के सम्मोहन में बंधकर जनता की भारी भीड़ उन्हें एकटक सुनती थी। उनके शब्दों में एक अजीब सा ठहराव था जो श्रोताओं को उनकी बातें सुनने को विवश करती रहीं। उनके शब्दों का जादू ऐसा था जिसे सुनकर जनता ने हमेशा उनकी तारीफ की। अटल ने अपने धुर विरोधी कांग्रेस को कई मौकों पर संसद से सड़क तक घेरा लेकिन उनके मित्र हर दल में मौजूद थे।

अटल बिहारी वाजपेयी आज हमारे बीच भले ही नहीं हों लेकिन उन्होंने एक मौके पर एक पत्रकार से तत्कालीन प्रधानंमत्री राजीव गांधी की जमकर तारीफ की थी और कहा था, अगर राजीव गांधी न होते तो वो शायद नहीं बच पाते। क्योंकि तत्कालीन प्रधानंमत्री राजीव गांधी ने उन्हें न्यूयॉर्क जाने का मौका दिया था जिससे कि वह अपनी बीमारी का इलाज करा सकें। वहीं उनकी तबियत खराब होने पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी उन्हें देखने सबसे पहले एम्स पहुंचे थे। इसके बाद पीएम मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, संघ प्रमुख मोहन भागवत समेत कई हस्तियों ने एम्स जाकर वाजपेयी की सेहत का हाल जाना था।

अटल ने अन्य कई नेताओं की तरह धुर विरोधियों की प्रशंसा से परहेज करने की बजाय उनकी अच्छाइयों की जमकर तारीफ की। उनका ह्रदय विशाल था। संकुचित सोच उनके शब्द कोष में मानो था ही नहीं। बेशक अटल हमारे बीच आज नहीं हैं लेकिन उनकी स्वस्थ्य राजनीति, कश्मीर नीति, विरोधियों को भी अपना बनाने की नीति हमेशा हमें एक नई सीख देती रहेगी। वाजपेयी ने जम्म-कश्मीर में शांति के लिये हरसंभव पहल की। विश्व भर के नेताओं के साथ ही पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ भी उनकी कूटनीति के मुरीद रहे हैं। 72वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले पर भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए कहा, कश्मीर के मुद्दे का हल निकालते वक्त हम अटलजी के नजरिये पर चलेंगे, जो इंसानियत, कश्मीरियत और जम्हूरियत पर आधारित था।

अटल बिहारी वाजपेयी के भाषण, शब्द और कविताएं हमें हमेशा इस बात का अहसास कराती रहेंगी कि वो भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके अटल विचार हमेशा अमर रहेंगे।

साल 1988 में जब वाजपेयी किडनी का इलाज कराने अमेरिका गए थे तब धर्मवीर भारती को लिखे एक खत में उन्होंने मौत की आंखों में देखकर उसे हराने के जज्बे को कविता के रूप में सजाया था। आज एक बार फिर याद आ रही यह कविता थी- मौत से ठन गई‘…

ठन गई

मौत से ठन गई!

जूझने का मेरा इरादा था,

मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा था,

रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,

यूं लगा जिंदगी से बड़ी हो गई।

मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,

जिंदगी सिलसिला, आज कल की नहीं।

मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं,

लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं?

तू दबे पांव, चोरी-छिपे से आ,

सामने वार कर फिर मुझे आजमा।

मौत से बेखबर, जिंदगी का सफ़र,

शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर।

बात ऐसी नहीं कि कोई ग़म ही नहीं,

दर्द अपने-पराए कुछ कम भी नहीं।

प्यार इतना परायों से मुझको मिला,

अपनों से बाक़ी हैं कोई गिला।

हर चुनौती से दो हाथ मैंने किए,

आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए।

आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान है,

नाव भंवरों की बांहों में मेहमान है।

पार पाने का क़ायम मगर हौसला,

देख तेवर तूफ़ां का, तेवरी तन गई।

मौत से ठन गई।

अपने विचारों और सिद्धांतों पर अटल रहने वाले विशाल शख्सियत, ओजपूर्ण व्यक्तित्व के मालिक अटल बिहारी वाजपेयी को एपीएन परिवार की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि।

एपीएन ब्यूरो

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