पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का गुरुवार की शाम 93 साल की उम्र में निधन हो गया। दिल्ली के एम्स में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके अंतिम दर्शन के लिए कई हस्तियों का तांता लगा हुआ है। दिल्‍ली के राजघाट के पास शांति वन में बने स्‍मृति स्‍थल उनका अंतिम संस्कार शाम 4 बजे स्मृति स्थल पर होगा।

बता दें कि वह करीब दो महीनों से एम्स में भर्ती थे। पिछले 24 घंटों से उनकी हालत काफी नाजुक बनी हुई थी और गुरुवार की शाम को आखिरकार अस्पताल से वह खबर बाहर आई जिसे सुनने के लिए शायद कोई भी तैयार नहीं था। अपने दिव्य व्यक्तित्व के कारण वाजपेयी हर किसी के चहेते थे। न सिर्फ एक राजनेता के रूप में बल्कि एक कवि के रूप में भी उन्हें लोग काफी पसंद करते थे। उनकी मौत  से राजनीतिक जगत से लेकर बॉलीवुड तक शोक की लहर है। सभी बॉलीवुड स्टार ने उनके निधन पर दुख जताया है।

सदी के महान नेता के निधन पर सदी के महानायक ने दुख जताया है। अमिताभ बच्चन ने ट्वीट कर वाजपेयी को श्रद्धांजलि दी है।

एक्टर संजय दत्त ने शोक जताते हुए ट्विटर पर लिखा है कि यह हमारे देश के लिए बड़ी क्षति है। ‘वह मेरे परिवार के करीबी दोस्त थे। उनकी विरासत को हमेशा याद रखा जाएगा। अपनी निस्वार्थ सेवा के लिए धन्यवाद, सर।’

बॉलीवुड एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा ने भी अटल के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के विचार और योगदान अपूर्व थे। देश उन्हें हमेशा याद रखेगा।’

टीवी क्वीन एकता कपूर ने अटल से जुड़ा एक वाकया शेयर किया है। उन्होंने लिखा है, ‘कई साल पहले अटल जी ने एक भाषण में बालाजी का जिक्र किया था। मेरी दादी मां ने उसे पढ़ा और खुशी से मुझे 10 मिनट तक अपने सीने से लगाए रखा। अपने नेता के लिए उनके मन में इतना प्यार था। आज मुझे कुछ कमी महसूस हो रही है। अटल जी आप याद आएंगे।’

साउथ फिल्म इंडस्ट्री से फेमस ऐक्टर और बॉलिवुड के ‘रांझणा’ स्टार धनुष ने लिखा है कि वाजपेयी के निधन की खबर सुनकर वह काफी दुखी हैं।

अटल बिहारी वाजपेयी 1951 से भारतीय राजनीति का हिस्सा बने। उन्होंने 1955 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए थे। इसके बाद 1957 में वह सांसद बने। अटल बिहारी वाजपेयी कुल 10 बार लोकसभा के सांसद रहे। वहीं वह दो बार 1962 और 1986 में राज्यसभा के सांसद भी रहे। इस दौरान अटल ने उत्तर प्रदेश, नई दिल्ली और मध्य प्रदेश से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीते। वहीं वह गुजरात से राज्यसभा पहुंचे थे।

गौरतलब है कि भाजपा के संस्थापकों में शामिल वाजपेयी 3 बार देश के प्रधानमंत्री रहे। वह पहले ऐसे गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री रहे हैं जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया। बीजेपी के चार दशक तक विपक्ष में रहने के बाद वाजपेयी 1996 में पहली बार प्रधानमंत्री बने, लेकिन संख्याबल नहीं होने से उनकी सरकार महज 13 दिन में ही गिर गई। आंकड़ों ने एक बार फिर वाजपेयी के साथ लुका-छिपी का खेल खेला और स्थिर बहुमत नहीं होने के कारण 13 महीने बाद 1999 की शुरुआत में उनके नेतृत्व वाली दूसरी सरकार भी गिर गई। अन्नाद्रमुक प्रमुख जे जयललिता द्वारा केंद्र की बीजेपी की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेने की पृष्ठभूमि में वाजपेयी सरकार धराशायी हो गई। लेकिन 1999 के चुनाव में वाजपेयी पिछली बार के मुकाबले एक अधिक स्थिर गठबंधन सरकार के मुखिया बने, जिसने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका है।

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