नाबालिग से यौन शोषण के आरोपों का सामना कर रहे आसाराम के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश जारी किए है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को गुजरात की निचली अदालत से कहा है कि इस मामले की सुनवाई एक समय सीमा के बीच पूरी की कर ली जाए। इससे पहले 12 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम की जमानत याचिका खारिज करते हुए उनके खिलाफ गलत मेडिकल सबूत देने के संबंध में नई एफआईआर दर्ज करने के लिए कहा था। साथ ही आसाराम पर 1 लाख रूपये का जुर्माना भी लगाया गया था।

आसाराम पर सूरत की दो बहनों ने बलात्कार का आरोप लगाया था। मुख्य न्यायधीश जस्टिस खेहर, जस्टिस डी वाई चंद्रचूर्ण और जस्टिस एस के कौल वाली बेंच ने गुजरात की अदालत से कहा है कि मामले में अभियोजन पक्ष के 46 गवाहों के बयानों के साथ ही बलात्कार पीड़ितो के बयान की रिकार्डिंग को कोर्ट में जल्द उपलब्ध कराया जाए

गुजरात कोर्ट ने कहा कि दोनों बहनों समेत 46 अन्य अभियोजन पक्ष के गवाहों की रिकार्डिंग बाकी है। मामले में गुजरात की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता कोर्ट में उपस्थित हुए। उन्होंने एक ऐसे ही मामले में दो अभियोजन पक्षों के गवाहों की मौत की जानकारी दी। तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि आसाराम के केस में 29 अभियोजन पक्ष के गवाहों की बयान लिये जा चुके हैं। जबकि 46 के बयान लिये जाने अभी बाकी है।

तुषार मेहता की इन दलीलों को कोर्ट ने कहा कि गवाहों के बयान दर्ज करने में तेजी लाई जाए। मामले की अगली सुनवाई जुलाई के तीसरे हफ्ते में होगी। हाल ही में कोर्ट की ओर से आसाराम की जमानत को रद्द कर दिया गया था। आसाराम की ओर से खराब स्वास्थ्य को जमानत के लिए आधार बनाया गया था। आसाराम के खिलाफ गुजरात और राजस्थान की अदालतों में बलातकार के दो अलग-अलग मामले दर्ज हैं। सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई जुलाई के तीसरे सप्ताह में होगी।

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