रविवार को हेलीपैड के लैंडिग को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और सेना अधिकारी आमने-सामने आ गए। इस मामले में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की जान बाल-बाल बच गई। अन्यथा कुछ अनहोनी भी हो सकती थी। सीएम के सुरक्षा अधिकारियों ने भारतीय सेना पर आरोप लगाया है कि उन्होंने सीएम के हेलीकॉप्‍टर को सेना के जीटीसी स्थित हेलीपैड पर उतरने नहीं दिया। हेलीपैड पर दो ड्रम रखे हुए थे। इस पर पायलट ने हेलीकॉप्‍टर को दूसरी जगह पर उतारा। इस दौरान हेलीकॉप्‍टर दुर्घटनाग्रस्‍त होने से बाल-बाल बच गया। सरकार ने इसे मुख्यमंत्री की सुरक्षा से खिलवाड़ और गंभीर चूक करार दिया है। वहीं सेना का कहना है कि हेलीकॉप्टर लैडिंग के लिए स्थान सुरक्षित न होने के कारण वहां ड्रम रखे गए। कैंट पुलिस ने प्राथमिक रिपोर्ट दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सुरक्षा से खिलवाड़ किए जाने को गंभीरता से लेते हुए एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी पर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज की गई है। मुख्यमंत्री के मीडिया समन्वयक दर्शन सिंह रावत ने बताया कि कल दोपहर उत्तरकाशी के लिए उड़ान भरने के समय जीओसी सब एरिया द्वारा की गई हरकत पर मुख्यमंत्री ने भी नाराजगी जताई है। जीओसी की इस हरकत की शिकायत रक्षा मंत्रालय से भी की जाएगी।

बता दें कि रावत को रविवार को हेलीकॉप्टर से देहरादून के जीटीसी हेलीपैड से उत्तरकाशी के सांवणी में हुए अग्निकांड पीड़ितों का हालचाल जानने और प्रभावित परिवारों को राहत राशि देने के लिए जाना था। रविवार दोपहर सवा बारह बजे जब मुख्यमंत्री की फ्लीट हैलीपैड पहुंची तो उसी दौरान जीओसी सब एरिया देहरादून ने अपनी निजी गाड़ी फ्लीट के आगे रोक दी। नगर क्षेत्राधिकारी और छावनी थानाध्यक्ष द्वारा उन्हें मुख्यमंत्री की फ्लीट आने की जानकारी दिये जाने के बावजूद वह गाड़ी हटाने की जगह विवाद करने लगा और उसने कथित रूप से धमकी दी।

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