नेताओं का अपनी पार्टी से नाराज होना और पार्टी से बगावत कर दूसरी पार्टी का दामन थाम लेना एक पुरानी परंपरा हो चुकी है। इसी परंपरा के मद्देनजर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिन्‍दुस्‍तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी ने एनडीए का साथ छोड़कर महागठबंधन में शामिल हो गए हैं। बता दें कि राजग से नाराज चल रहे हिन्‍दुस्‍तानी आवाम मोर्चा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जीतनराम मांझी से राजद अध्‍यक्ष लालू प्रसाद यादव के पुत्र व नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव एवं तेजप्रताप यादव ने मुलाकात की। इसके बाद मांझी ने महागठबंधन में शामिल होने का एलान कर दिया। मांझी ने बताया कि इसकी औपचारिक घोषणा रात आठ बजे की जायेगी। वहीं बीजेपी और आरजेडी का कहना है कि वक्त से पहले मांझी से बात की जाएगी और उन्हें मना लिया जाएगा।

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से नाराज चल रहे मांझी ने भोला यादव के आवास पर मुलाकात के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘‘हमलोगों में बात हो गयी है और हम महागठबंधन में जायेंगे और इसकी विधिवत घोषणा आज रात आठ बजे प्रेस कांफ्रेंस कर की जाएगी।’’  वहीं तेजस्वी का कहना है कि उन्हें मांझी के महागठबंधन में आने की खुशी है। बताया जा रहा है कि राजग में अधिक महत्व नहीं दिए जाने से नाराज चल रहे मांझी ने आगामी 23 मार्च को बिहार से राज्यसभा की छह सीटों के लिये होने वाले चुनाव में अपनी पार्टी से एक व्यक्ति को राजग का उम्मीदवार घोषित किए जाने की मांग की थी।

मांझी का राजनैतिक कैरियर बड़ा उतार चढ़ाव वाला रहा है। कभी वो मुख्यमंत्री के कुर्सी पर बैठा दिए गए तो कभी उनकी कुर्सी छीन ली गई।  नीतीश सरकार में एससी और एसटी मंत्री रहे जीतनराम मांझी 20 मई 2014 को बिहार के मुख्यमंत्री बने क्योंकि नीतीश कुमार ने 2014 के लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया था। हालांकि 22 फरवरी 2015 को नीतीश कुमार मांझी को हटाकर फिर से सीएम बन गए। उस दौरान मांझी सीएम पद नहीं छोड़ना चाहते थे और अपनी कुर्सी बचाने के लिए मांझी ने बहुत कोशिश भी की थी।

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