उत्तर प्रदेश में साल 2022 में 403 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने वाला है। राज्य में बीजेपी राज कर रही है। बीजेपी के किले को ध्वस्त करने के लिए समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी अब तो असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्ताहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) भी मैदान में है। राजनीतिक गहमा गहमी तेज है। इस बीच एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी का एक बयान चर्चा में है। जिसमे उन्होंने सीएम योगी को चुनौती देते हुए कहा था कि आप को साल 2022 में सीएम नहीं बनने देंगे। ओवैसी के इस चुनौती को सीएम योगी ने स्वीकार करते हुए उन्हें देश का बड़ा नेता बताया है।

जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में मिली बंपर जीत के बाद सीएम योगी खुश हैं। पार्टी आने वाले चुनाव की तैयारी में जुट गई है। इस बीच सीएम योगी ने ओवैसी के चैंलेज को भी स्वीकार कर लिया है।

सीएम योगी ने कहा, असदुद्दीन ओवैसी हमारे देश के बड़े नेता हैं, लेकिन वह भूल रहे हैं कि यूपी के अंदर वह बीजेपी को चैलेंज नहीं कर सकते क्यों कि भाजपा यहां अपने मूल्यों और मुद्दों के साथ चुनाव लड़ती है। उन्होनें कहा कि  अगर ओवैसी 2022 विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी को चुनौती दी है तो बीजेपी का कार्यकर्ता उनकी चुनौती को स्वीकारते हैं। इसमें कोई शक नहीं कि 2022 विधानसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार बनाएगी।

बता दें कि ओवैसी ने ऐलान कर दिया है कि वे राजभर की अगुआई वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और कुछ अन्य छोटे दलों के फ्रंट ‘भागीदारी संकल्प मोर्चा’ के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी 100 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी।

अगर यूपी में साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की बात करें तो असदुद्दीन ओवैसी यूपी में चुनावी मैदान में उतरकर मुस्लिम मतों को अपने पाले में लाकर सेक्युलर दलों का सियासी खेल बिगाड़ सकते हैं। ऐसे में अगर उन्हें मुस्लिम वोट नहीं भी मिलते तो वो अपनी राजनीति के जरिए ऐसा ध्रुवीकरण करते हैं कि हिंदू वोट एकजुट होने लगता है। ऐसे में तथाकथित सेक्युलर दल अगर ओवैसी के साथ मैदान में उतरे तो उन पर भी मुस्लिम परस्त और कट्टरपंथी पार्टी के साथ खड़े होने का आरोप लगेगा। यही वजह है कि ओवैसी के साथ बिहार, पश्चिम बंगाल और अब यूपी के विपक्षी दल हाथ मिलाने के तैयार नहीं हैं।

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