भारत की बहुचर्चित एंटीवायरल दवा रेमडेसिवीर महामरी को खत्म करने में काफी कारगार है। लेकिन इस भयंकर कोरोना काल में दवा पर कोई चर्चा नहीं हो रही है। दावा है कि, इसकी जमाखोरी और काला बाजारी हो रही है। काला बाजारी के कारण केंद्र सरकार ने दवा की निर्यात पर रोक भी लगा दी है। बता दें कि, ये वही दवा है जब 2014 में इबोला अफ्रीकी देशों में महामारी बनकर फैला। उसके इलाज में इसका इस्तेमाल हुआ। ये उसमें असरदार भी दिखी।

इसके बाद भी WHO ने इस दवा को कोरोना महामरी के दौरान इस्तेमाल करने की मान्यता नहीं दी है। इसे लेकर ICMR की अलग अवधारणा है, राज्य की एक अलग सोच है। जनता को पता नहीं है। जनता को लगता है कि, रेमडेसिविर उन्हें कोविड-19 से बचा सकता है। एक समय पर इस दवा का खूब प्रचार किया गया था। लेकिन जब बात जरूरत की आई तो भारतीय बाजार से ये गायब ही हो गया है।

रेमडेसिवीर को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सख्त हो गए हैं। अपने सरकारी आवास से टीम-11 के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से कोरोना संक्रमण की समीक्षा कर रहे सीएम योगी आदित्यनाथ ने जीवनरक्षक इंजेक्शन रेमडेसिविर की जमाखोरी करने वालों के साथ ही इसकी कालाबाजारों करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया है। इसके तहत कानपुर के तीन जमाखोरों के खिलाफ एनएसए के तहत शीघ्र कड़ी कार्रवाई होगी।

बता दें कि, सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद उत्तर प्रदेश एसटीएफ के साथ ही लोकल पुलिस की टीमें जमाखोरों तथा कालाबाजारी करने वालों की तलाश में लगी हैं। कानपुर में दो दिन पहले रेमडेसिविर इंजेक्शन के साथ पकड़े गए तीन आरोपियों के खिलाफ सरकार अब एनएसए के तहत कार्रवाई करेगी। कानपुर में 265 रेमडेसिविर इंजेक्शन के साथ पकड़े गए तीन व्यक्तियों को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के प्रावधानों के तहत सजा देने का फैसला किया है। 

भारत में ऑक्सीजन की कमी को लेकर सीएम ने कहा कि, हम कोशिश कर रहे हैं कि, प्रदेश में इस तरह की घटना न हो इसलिए उत्तर प्रदेश में ऑक्सीजन की आपूर्ति को बेहतर करने के लिए अलग-अलग स्थानों पर 10 नए ऑक्सीजन प्लांट स्थापित होने हैं। उन्होंने आगे कहा कि, प्रयास यही है कि, होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों को किसी तरह की कोई कमी न हो।

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