आम आदमी पार्टी में आंतरिक कलह शुरू से ही रहा है और दिन पर दिन यह और बढ़ती जा रहा है। इसी बीच कल पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक हुई जिसमें सबकी निगाह इस बात पर लगी थी कि कुमार विश्वास बोलेंगे या नहीं, पर तमाम तनातनी के बीच भी बैठक हुई और बहुत से प्रस्ताव पास किए गए। इसमें खास बात यह थी कि आप को एक बार फिर जनलोकपाल बिल की याद आई है।

बता दें कि इस बैठक में सभी राज्यों के प्रभारियों ने देश के अलग-अलग राज्यों में संगठन निर्माण से जुड़ी जानकारियां राष्ट्रीय परिषद के सामने रखीं। इस दौरान मोदी सरकार को जमकर निशाना बनाते हुए पार्टी नेता आशुतोष ने कई प्रस्ताव भी पास किए।

केजरीवाल ने परिषद के सभी सदस्यों को बताया कि दिल्ली में पार्टी की सरकार पूरी मजबूती के साथ काम कर रही है और जरूरत पड़ने पर जनता के मुद्दों को लेकर जमीन से लेकर सदन तक केंद्र सरकार से संघर्ष भी करती है।

बैठक में दिन भर संगठन के विस्तार से लेकर बेरोज़गारी, आर्थिक संकट और किसानों की बदहाली जैसे ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा हुई। नोटबंदी और जीएसटी पर सरकार से श्वेत पत्र जारी करने, आत्म हत्या करने वाले किसानों को 20 लाख मुआवजा, परिवार के एक सदस्य को नौकरी और कॉर्पोरेट की तरह किसानों की कर्ज माफी, युवाओं को रोजगार के अवसर दिलवाने, शिक्षा का बजट बढ़ाने, बिना गारंटी शिक्षा लोन देने जैसे प्रस्ताव को पास किया गया।

एक लंबे अरसे बाद पार्टी को जनलोकपाल बिल की भी याद आई। प्रस्ताव पास कर केंद्र के लोकपाल और दिल्ली के जनलोकपाल को पास करने की अपील की गई।

इसके अलावा हालांकि पार्टी में खुलकर कोई हंगामा नहीं हुआ, लेकिन दोनों ही पक्ष इशारों-इशारों में अपनी चालें चलते दिखे। विश्वास मंच से तो नहीं, लेकिन कार्यकर्ताओं के बीच जरूर बोले। इसी प्रकार दोनों गुटों ने बैठक में तो शांति बनाए रखी, लेकिन बाहर निकलते ही आस्तीनें चढ़ा लीं। विश्वास जब बैठक से निकल रहे थे, तो बाहर उनके समर्थक जिंदाबाद के नारे लगाने लगे। इस पर अमानतुल्लाह गुट के समर्थकों ने विश्वास के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। ऐसे असहज माहौल में संपन्न हुई राष्ट्रीय परिषद की बैठक में जहां पार्टी ने खुद की पीठ थपथपाई, वहीं उपराज्यपाल पर निशाना भी साधा गया।

वहीं कुमार विश्वास अभी भी नाराज चल रहे हैं। मीटिंग के बाद पहला वार कुमार विश्वास ने किया। उन्होंने कहा कि 2012 के बाद यह पहला मौका है, जब उनका नाम वक्ताओं की सूची से बाहर था। विश्वास ने कहा, ‘मेरा नाम वक्ताओं की सूची में शामिल नहीं था और मुझे वॉलंटियर्स को संबोधित नहीं करने दिया गया। जब राज्य के प्रभारियों को बोलने के लिए कहा गया तो मुझे भी मौका दिया गया, लेकिन मैंने कहा कि फिलहाल मेरे पास कहने के लिए कुछ नहीं है।’

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