लोकसभा चुनाव से पहले आज आए 4 राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजे सेमीफाइनल के रूप में माने जा रहे हैं। यह मुख्यतः दो कारणों से है। तथ्य यह है कि 1998 के बाद से ये चुनाव लोकसभा चुनाव से एक साल से भी कम समय पहले होते रहे हैं। 2003 के बाद से विधानसभा और लोकसभा चुनावों के बीच छह महीने से कम का अंतर रहा है। तब से, इस चक्र में 4 से 5 राज्यों के चुनाव शामिल हैं, जिनमें मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे प्रमुख हिंदी भाषी राज्य भी शामिल हैं। हालांकि मतदाता राज्य और राष्ट्रीय चुनावों में अलग-अलग तरीके से मतदान करते हैं।
लोकसभा स्तर पर बीजेपी स्पष्ट रूप से फायदे में है। बीजेपी ने 1999 से लगातार लोकसभा स्तर पर तीन हिंदी भाषी राज्यों – मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ पर अपना दबदबा बनाए रखा है। इन राज्यों में विधानसभा स्तर की तुलना में राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी का वोट शेयर काफी बढ़ जाता है। ऐसा लगता है कि ये स्पष्ट रूप से राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी की ओर झुकाव वाले राज्य हैं। आज आए नतीजे तो इस बात की और भी अधिक पुष्टि करते हैं।
आम चुनाव को मिलेगी दिशा
ये नतीजे आने वाले महीनों में लोकसभा चुनाव को दिशा देने में मदद कर सकते हैं। खासकर इसलिए क्योंकि तीन राज्यों में ज्यादातर बीजेपी और कांग्रेस के बीच द्विध्रुवीय मुकाबला हुआ। बीजेपी ने 4 में से तीन राज्यों में जीत हासिल की है इसलिए यह लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी के लिए बड़ा प्रोत्साहन है। तीनों हिंदी भाषी राज्यों में जीत हासिल करना बीजेपी के लिए बड़ी उपलब्धि है क्योंकि उसने कांग्रेस से 2 राज्य छीन लिये हैं। एक पहलू ये भी है कि इन नतीजों से इन राज्यों की स्थानीय पार्टियां चुनाव जीतने वाली पार्टी की ओर जाएंगी।
ब्रैंड मोदी पर जनता की मुहर
बीजेपी ने सभी चुनाव क्षेत्रीय नेताओं को आगे किए बिना पीएम नरेंद्र मोदी के नाम पर लड़े, इसलिए नतीजे राज्य चुनावों में पीएम की अपील की ताकत और सीमा दोनों का संकेत हैं। यानी ब्रैंड मोदी पर जनता की मुहर लग गई है।
इंडिया गठबंधन में पड़ेगी फूट
इंडिया गठबंधन की बात की जाए तो इस गठबंधन की कई पार्टियां कांग्रेस के खिलाफ इन राज्यों के चुनाव में लड़ीं। जैसे AAP, सपा, माकपा, भाकपा और जेडीयू। अगर कांग्रेस ने 3 राज्यों में जीत दर्ज की होती तो वह बाकी दलों का नेतृत्व करने का दावा भी दमदार तरीके से रख सकती थी लेकिन अब ऐसा होते नहीं दिखेगा। पार्टी ने नुकसान पहुंचाया तो बीआरएस को जो कि एक क्षेत्रीय पार्टी है और एनडीए का हिस्सा नहीं है।
3 हिंदी भाषी राज्यों में हैं 65 लोकसभा सीटें
राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की लोकसभा सीटों की बात की जाए तो इन 3 राज्यों की कुल 65 सीटें लोकसभा में हैं। इन तीनों राज्य में बीजेपी की सरकार बनने का असर अगले साल के लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा और बीजेपी को इससे काफी बढ़त मिलेगी।