1.76 लाख करोड़ के कथित 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और डीएमके सांसद कनिमोझी सहित अन्य सभी आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय ने सोमवार (19 मार्च) को दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की है। इस मामले में 2017 में पटियाला हाउस कोर्ट की विशेष अदालत ने 19 लोगों को बरी कर दिया था।

प्रवर्तन निदेशालय ने विशेष अदालत के इसी फैसले के खिलाफ अपील दायर कर फिर से सुनवाई की गुजारिश की है। 2 जी घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय ने अपने आरोप पत्र में डीएमके संरक्षक एम. करुणानिधि की पत्नी को भी आरोपी बनाया था लेकिन विशेष अदालत ने सभी आरोपियों को ये कहते हुए बरी कर दिया था कि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं। इन सभी लोगों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय और सीबाआई ने केस दायर किया था। आरोपियों की रिहाई के फैसले के ठीक बाद प्रवर्तन निदेशालय ने साफ किया था कि वह विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेगा।

2जी घोटाले में भारत सरकार के खजाने को 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपये के नुकसान होने की बात कही गई थी लेकिन जज ओपी सैनी ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि मुझे यह कहने में बिल्कुल कोई हिचकिचाहट नहीं है कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ कोई भी आरोप साबित करने में बुरी तरह से नाकाम रहा है।

कोर्ट ने कहा था कि सीबीआई की ओर से पेश किए गए रिकॉर्ड में ऐसा कोई सबूत नही है जो  आरोपियों के अपराध को साबित करता हो। फिर चाहे वो कट ऑफ डेट के फिक्स करने, पहले आओ पहले पाओ नीति के मैन्युपुलेशन का, ड्यूल टेक्नोलॉजी वाली कंपनियों को स्पेक्ट्रम देने या फिर कलिंगनार टीवी को 200 करोड़ रुपये रिश्वत के तौर पर देने का आरोप हो।

इस केस की चार्जशीट ऑफिशियल रिकॉर्ड की मिसरीडिंग, चुनींदा रीडिंग और संदर्भ से परे हट कर की गई रीडिंग पर आधारित है। आरोप पत्र जांच के दौरान गवाहों की तरफ से दी हुई मौखिक गवाही पर आधारित है, जो गवाहों ने कोर्ट में गवाही के दौरान नहीं कहा। अगर गवाहों ने मौखिक तौर पर बयान दिए हैं और वह ऑफिसियल रिकॉर्ड से मेल नहीं खाते हैं तो वह कानून में मान्य नही हैं।

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