RTI एक्ट के 17 साल पूरे, देशभर में 3 लाख से अधिक शिकायत लंबित, जानिए और क्या बताती है आरटीआई को लेकर जारी की गई रिपोर्ट

इस समय तक देशभर में कार्य कर रहे 29 में से केवल 11 सूचना आयोग RTI आवेदनों या अपीलों के लिये ई-फाइलिंग (E-Filing) की सुविधा प्रदान करते हैं, जिनमें से केवल पांच ही कार्यरत हैं.

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RTI एक्ट के 17 साल पूरे, देशभर में 3 लाख से अधिक शिकायत लंबित जानिए और क्या बताती है रिपोर्ट - APN News
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12 अक्टूबर 2022 को RTI एक्ट को देशभर में लागू हुए 17 साल पूरे हो गए. वहीं पिछले दिनों प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार देश में सूचना का अधिकार (Right to Information- RTI) अधिनियम के तहत सूचना आयोगों में अपील या शिकायतों के लंबित मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं. अभी भारत भर में 26 सूचना आयोगों के पास लगभग 3.15 लाख शिकायतें या अपील लंबित हैं जिनका कोई जवाब नहीं दिया गया है.

11 अक्टूबर को सतरक नागरिक संगठन (Satark Nagrik Sangathan- एसएनएस) ने RTI से संबंधित मुद्दों को लेकर ‘भारत में सूचना आयोगों के प्रदर्शन पर रिपोर्ट कार्ड 2021-22’ में प्रस्तुत किया था.

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क्या कहती है रिपोर्ट

RTI पर आई एक रिपोर्ट के अनुसार देश भर में वर्ष 2019 में लंबित अपीलों और शिकायतों की संख्या 2,18,347 थी जो 2022 में बढ़कर 3,14,323 हो गई. अगर राज्यों की बात करें तो सबसे अधिक लंबित मामले महाराष्ट्र में थे जहां आरटीआई एक्ट के तहत 99,722 मामलें लंबित है, इसके बाद उत्तर प्रदेश जहां 44,482 मामले लंबित है वहीं कर्नाटक में 30,358 मामले लंबित थे. देश भर में स्थापित 29 सूचना आयोगों में से दो पूरी तरह से निष्क्रिय हैं ओर चार बगैर प्रमुख अधिकारी के चल रहे हैं और केवल 5 फीसदी पदों पर ही महिलाएं हैं.

रिपोर्ट के अनुसार झारखंड सूचना आयोग 29 महीने से और त्रिपुरा सूचना आयोग पिछले 15 महीने से पूरी तरह से निष्क्रिय हैं. मणिपुर, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल तथा आंध्र प्रदेश में सूचना आयोग कार्यालय प्रमुख अधिकारी के बिना चल रहे हैं.

इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि आयोगों ने उन 95 फीसदी मामलों में जुर्माना नहीं लगाया जहां जुर्माना लगाया जाना था. इसके अलावा कई आयोगों में मामलों का देर से निपटान करने और उनके कामकाज में पारदर्शिता की कमी के बारे में भी चिंता व्यक्त की गई है.

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ई-फाइलिंग सुविधा (E-Filing facility)

इस समय तक देशभर में कार्य कर रहे 29 में से केवल 11 सूचना आयोग RTI आवेदनों या अपीलों के लिये ई-फाइलिंग (E-Filing) की सुविधा प्रदान करते हैं, जिनमें से केवल पांच ही कार्यरत हैं.

क्या है सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत सरकारी सूचना के लिये नागरिकों के सवालों का समय पर जवाब देना अनिवार्य बनाया गया है. सूचना का अधिकार अधिनियम का मूल उद्देश्य नागरिकों को सशक्त बनाना, सरकार के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना, भ्रष्टाचार को रोकना एवं वास्तविक अर्थों में हमारे लोकतंत्र का लोगों के लिये कार्य करना है.

2019 में हुए संशोधन से क्या बदला?

वहीं सूचना का अधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2019 में प्रावधान किया गया है कि मुख्य सूचना आयुक्त (Chief Information Commissioner) और एक सूचना आयुक्त (Information Commissioner) (केंद्र के साथ-साथ राज्यों के) केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किए गए समय के लिये ही पद धारण करेंगे. 2019 में किए गए इस संशोधन से पहले इनका कार्यकाल 5 साल के लिये तय किया गया था. इसमें एक ओर प्रावधान किया गया है कि मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त (केंद्र के साथ-साथ राज्यों के) के वेतन, भत्ते और अन्य सेवा से जुड़ी हुई शर्तें केंद्र सरकार द्वारा तय की जाएंगी.

2019 में हुए इस संशोधन से पहले देश के मुख्य सूचना आयुक्त के वेतन, भत्ते और अन्य सेवा संबंधी शर्तें भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त के बराबर थी और सूचना आयुक्त के वेतन, भत्ते और अन्य सेवा संबंधी शर्तें एक चुनाव आयुक्त (राज्यों के मामले में राज्य चुनाव आयुक्त) के बराबर थी

इसने मुख्य सूचना आयुक्त, सूचना आयुक्त, राज्य मुख्य सूचना आयुक्त, और राज्य सूचना आयुक्त के लिये पेंशन या किसी अन्य सेवानिवृत्ति लाभ (Retirement benefits) के कारण वेतन कटौती से संबंधित खंडों खत्म कर दिया, जो उन्हें उनके सरकारी नौकरी के लिये मिले हुए थे. इस RTI (संशोधन) अधिनियम, 2019 की आलोचना देश में RTI कानून को कमजोर करने और केंद्र सरकार को अधिक शक्तियां देने के आधार पर की गई थी.

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CIC – RTI

केंद्रीय सूचना आयोग (CIC)

केंद्रीय सूचना आयोग(Central Information Commissioner) की स्थापना सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI Act- 2005) के प्रावधानों के तहत वर्ष 2005 में केंद्र सरकार द्वारा की गई थी. हालांकि केंद्रीय सूचना आयोग एक संवैधानिक निकाय (Constitutional Body) नहीं है. केंद्रीय सूचना आयोग में एक मुख्य सूचना आयुक्त होता है और दस से अधिक सूचना आयुक्त नहीं हो सकते हैं.

केंद्रीय सूचना आयोग में नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक समिति (Committee) की सिफारिश पर की जाती है जिसमें अध्यक्ष के रूप में प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष का नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नामित केंद्रीय कैबिनेट मंत्री शामिल होते हैं.

केंद्रीय सूचना आयोग के अधिकार क्षेत्र में सभी केंद्रीय लोक प्राधिकरणों आते है ओर वो किसी भी संस्थान से सवालों का उत्तर जान सकते हैं. मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त का कार्यकाल केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित अवधि या फिर 65 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले हो) तक है. एक बार रिटायर होने के बाद वे दोबारा नियुक्ति के पात्र नहीं हैं.

क्या है केंद्रीय सूचना आयोग की शक्तियां और कार्य?

केंद्रीय सूचना आयोग का कार्य है कि वह सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत किसी भी विषय पर प्राप्त शिकायतों के मामले में संबंधित व्यक्ति से पूछताछ करे. आयोग उचित आधार होने पर किसी भी मामले में स्वतः संज्ञान (Suo-Moto) लेते हुए भी जांच का आदेश दे सकता है. इसके अलावा आयोग के पास पूछताछ करने के लिए सम्मन भेजने, दस्तावेजों की जरूरत आदि के संबंध में सिविल कोर्ट जितनी शक्तियां होती हैं.

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