दिल्ली में गेस्ट टीचरों की पक्की नौकरी को लेकर केजरीवाल सरकार और लेफ्टिनेंट गवर्नर अनिल बैजल आमने-सामने हैं। दरअसल दिल्ली सरकार द्वारा गेस्ट टीचरों की पक्की नौकरी से जुड़ा बिल विधानसभा के विशेष सत्र में पेश होने वाला है। ऐसे में बिल को लेकर एलजी बैजल ने एक पत्र के माध्यम से सवाल उठाए हैं। बैजल ने बिल पर सवाल उठाते हुए लिखा है कि, दिल्ली सरकार को इस बिल पर पुनर्विचार करना चाहिए।

एलजी बैजल ने अपने पत्र में लिखा है कि, सर्विसेज से संबंधित मामले दिल्ली विधानसभा की विधायी शक्तियों से बाहर है। इसके अलावा बैजल ने कहा कि  ट्रांजैक्शन ऑफ बिजनस ऑव द गवर्नमेंट ऑफ एनसीटी रूल्स, 1993 के तहत प्रस्तावित उपायों द्वारा बिलों को पास करने के लिए विधानमंडल की क्षमता के बारे में लॉ डिपार्टमेंट से सलाह लेना जरूरी है।

Anil Baijal

गृह मंत्रालय और हाई कोर्ट स्पष्ट कर चुके हैं कि सर्विसेज से संबंधित मामले दिल्ली विधानसभा की विधायी क्षमता से बाहर हैं। दिल्ली अधिनियम 1991 की धारा 41 से साबित है कि ‘सर्विसेज’ के मामले में एलजी अपने विवेक के आधार पर फैसला ले सकते हैं।

बता दें पिछले हफ्ते ही दिल्ली सरकार की कैबिनट ने 15000 गेस्ट टीचरों की पक्की नौकरी होने के बिल पर मुहर लगाई थी। दिल्ली विधानसभा में इसके लिए एक विशेष सत्र भी बुलाया गया था।

एलजी अनिल बैजल के इस बिल पर सवाल उठाने पर दिल्ली सरकार ने कहा कि गेस्ट टीचर्स का मामला शिक्षा से जुड़ा है और यह सर्विसेज का मामला नहीं है। गेस्ट टीचर्स को नियमित करने का मामला दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है और इसलिए सरकार विधानसभा में इससे जुड़ा बिल लेकर आ रही है।

ऐसे में मामला पेंचीदा है। चुनाव के दौरान जिस बिल को अरविंद केजरीवाल  ने अपना हथियार बनाया था। अब उस हथियार पर एलजी बैजल ने पत्र लिखकर पानी फेर दिया है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या दिल्ली सरकार बिल पेश करने में कामयाब हो पाएगी?

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