देश के हर कोने में महिलाओं को लेकर अपराध बढ़ते जा रहे हैं। इसी बीच नैशनल क्राइम रेकॉर्ड्स ब्यूरो ने चौकाने वाला खुलासा किया है। एनसीआरबी के 2019 के आंकड़ो के अनुसार महाराष्ट्र बच्चियों के गायब होने का गढ़ बन गया है। यहां प्रतिदिन 105 महिलाएं गायब हो जाती है और 17 महिलाएं हर हफ्ते तस्करी का शिकार होता हैं। राष्ट्रीय स्तर पर जितने भी महिलाओं के लापता और तस्करी के मामले होते हैं, उनमें महाराष्ट्र टॉप पर है। महाराष्ट्र के बाद मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल है।

2019 में तस्करी के शिकार हुए 989 में से 88 फीसदी महिलाएं और 6 फीसदी बच्चे थे। बंधुआ मजदूरी, अंग तस्करी, ड्रग पेडलिंग, यौन शोषण, जबरन विवाह आदि जैसे विभिन्न कारणों से मानव तस्करी की जाती थी। महाराष्ट्र के मामले में, 95.6 तस्करी का कारण जबरन वेश्यावृत्ति के जरिए यौन शोषण रहा।

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इसके अलावा, 2019 और 2018 के आंकड़ों की तुलना करें तो महिलाओं के लापता होने के मामलों में 13 फीसदी की वृद्धि हुई है। 2018 में सबसे अधिक लापता बच्चों वाले शीर्ष 10 राज्यों की सूची में महाराष्ट्र नहीं था, लेकिन अब 4,562 बच्चों के लापता होने के बाद अब राज्य, राष्ट्रीय स्तर पर चौथे स्थान में पहुंच गया है। लापता बच्चों के आंकड़ों में देखा गया कि उनमें से, 55 लड़कियां थीं।

मुंबई, पुणे और नागपुर के तीन प्रमुख महानगरों में रेड-लाइट क्षेत्रों का एक विशाल नेटवर्क होने के नाते, राज्य सेक्स ट्रैफिकिंग का बड़ा स्रोत है। महानगरों के अलावा, राज्य भर में कई छोटे और मध्यम रेड-लाइट क्षेत्र हैं।

भले ही देश में अपहरण और अपहरण के मामलों में 0.7 फीसदी की मामूली गिरावट आई है, लेकिन महाराष्ट्र में महिलाओं के खिलाफ अपराध बड़े पैमाने पर हैं। उत्तर प्रदेश के बाद, महाराष्ट्र में 2019 में सबसे ज्यादा अपहरण के मामले दर्ज किए गए। इन मामलों में बीते साल की तुलना में 1.9 फीसदी की वृद्धि भी देखने को मिली।

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