आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए लगातार संघर्ष कर रही तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) ने आखिरकार एनडीए से अपने सभी नातों को तोड़ने का ऐलान कर दिया है। साथ ही शुक्रवार को टीडीपी की ओर से केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का भी औपचारिक ऐलान किया गया, जिसे सोमवार को सदन में पेश किया जा सकता है। बता दे, शुक्रवार को वाईएसआर कांग्रेस की ओर से भी सदन में प्रस्ताव लाने की कोशिश की गई लेकिन हंगामे की वजह से यह पेश नहीं हो सका और सदन की कार्यवाही को सोमवार तक के लिए स्थगित करना पड़ा।

दरअसल, लोकसभा में टीडीपी अकेले यह प्रस्ताव नहीं ला सकती क्योंकि इसे पेश करने के लिए कम के कम 50 सांसदों का समर्थन जरूरी होता है। लेकिन लोकसभा में टीडीपी के पास सिर्फ 16 सांसद है, जबकि वाईएसआर के 9 सांसद हैं। इस तरह इन दोनों पार्टियों की सांसदों की संख्या 25 है लेकिन कांग्रेस, वाम और अन्य दलों के साथ आ जाने पर अविश्वास प्रस्ताव के लिए जरूरत से ज्यादा आंकड़ा उनके पास होगा। क्योंकि मौजूदा समय में कांग्रेस के पास लोकसभा में 48 सांसद, एआईएडीएमके के 37, सीपीएम के 9 और एआईएमआईएम का एक सांसद है।

बताया जा रहा है कि टीडीपी के इस प्रस्ताव को कांग्रेस और एआईएडीएमके समेत अब तक छह पार्टियों का साथ मिल चुका है। ऐसे में यदि ये प्रस्ताव पास होता है तो मोदी सरकार के खिलाफ ये पहला अविश्वास प्रस्ताव होगा।

क्या है अविश्वास प्रस्ताव

अविश्वास एक ऐसा संसदीय प्रस्ताव है, जिसे केंद्र सरकार को कमजोर करने या गिराने के उद्देश्य से संसद में विपक्ष द्वारा पेश किया जाता है। सदन में मौजूदा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को पारित कराने के लिए कम से कम 50 सांसदों का समर्थन प्राप्त होना अनिवार्य होता है।

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