Happy Birthday Sunil Dutt: हर किरदार में बेहतरीन थे सुनील दत्त…

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Happy Birthday Sunil Dutt: हर किरदार में बेहतरीन थे सुनील दत्त...
Happy Birthday Sunil Dutt: हर किरदार में बेहतरीन थे सुनील दत्त...

– Shweta Rai

Happy Birthday Sunil Dutt: अपनी हिम्मत के उड़ने के हैं काबिल ,हम मौसमों के हवाओं के सहारे नहीं ,रुख बदले हैं हवाओं के हमने हम परिंदे हवाओं से हारे नहीं, हम बात कर रहे हैं उस शख्स की जिसे जिन्दगी ने कड़े इम्तिहान की कसौटी पर भी कसा और ऊचाईयों के शिखर पर भी पहुँचाया लेकिन वह जब भी लोगों से मिला एक खुश दिल इन्सान के तौर पर  मिला। जिसे दुनिया दत्त साहेब और लोग सुनील दत्त के नाम से जानते हैं । जिसने जीवन में हर रिश्ते को बखूबी जिया। जिसे न केवल उसके अपने बल्कि दुनिया भी एक अच्छे पिता ,एक अच्छे पति और एक कलाकार के साथ-साथ एक सफल नेता के रूप में  भी जानती है। वाकई में एक शख्स को इतने किरदार के रूप में देखना और किरदार में खरे उतरते देखना आसान नहीं है वो दत्त साहेब का ही व्यक्तित्व है जिन्होंने लोगों के सामने एक मुकम्मल इंसान की तस्वीर पेश की।   

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Happy Birthday Sunil Dutt: फिल्मों में कैसे मिला पहला ब्रेक…

सुनील दत्त को जितनी कामयाबी फिल्मों में मिली, उतने ही कामयाब वो राजनीति में भी रहे। हालांकि बॉलीवुड में उन्होंने ऐसा भी दौर देखा जब उन्हें फिल्में नहीं मिल रही थीं। मशहूर रेडियो प्रसारक अमीन सयानी सुनील दत्त के पुराने मित्र थे। हीरो बनने से पहले सुनील दत्त भी रेडियो सीलोन में प्रसारक के रूप में नौकरी किया करते थे।

सयानी और दत्त उसी वक़्त से अच्छे मित्र बन गये थे। रेडियो कार्यक्रमों के दौरान सुनील दत्त की मुलाक़ात बड़ी-बड़ी फ़िल्मी हस्तियों से होती रहती थी। कई लोग उन्हें देख कर कहा करते थे इतने सुन्दर, लंबे, तगड़े नौजवान, इतने खूबसूरत इंसान हो तुम फ़िल्म कलाकार क्यों नहीं बन जाते?” ऐसी ही एक मुलाकात के बाद फ़िल्म निर्माता रमेश सहगल ने अपनी फ़िल्म ‘रेलवे प्लेटफॉर्म’ के लिए सुनील दत्त को हीरो के रोल का प्रस्ताव दिया था, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।

अमीन सयानी एक साक्षात्कार में कहते हैं कि ” अपने दोस्त को याद करते हुए इतना कहूँगा कि पैंसठ साल से मेरा नाता रहा है हिंदुस्तानी फ़िल्मी दुनिया से… मुझे हर तरह के लोग मिले हैं जिनमें सितारे, फ़िल्मी सितारे, निर्माता, निर्देशक और पॉलिटिशियन सभी शामिल हैं। इन सब में सबसे खूबसूरत इंसान अगर आप चुनने को कहेंगे तो मैं दत्त साहब का ही नाम लूंगा। मुझे आज भी याद है जब उनकी मौत हुई थी तो कैसे हज़ारों लोग सड़कों पर उतर आए थे। वो बहुत अच्छे अभिनेता, पॉलिटिशियन और इंसान थे।”

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Happy Birthday Sunil Dutt: सुनील दत्त पर्दे पर खलनायक की भूमिका नहीं निभाना चाहते थे। जब 1971 से 1975 तक कोई फ़िल्म नहीं मिलने से उनका करियर लड़खड़ाने लगा । तब अभिनेत्री साधना और आरके नय्यर ने उन्हें ‘गीता मेरा नाम’ फ़िल्म में काम करने को कहा। लाख समझाने के बाद उन्होंने पहली बार खलनायक की भूमिका निभाई। उसके बाद से उन्हें फिर से फ़िल्में मिलनी शुरू हो गईं। मुझे जीने दो का वो ठाकुर तो सभी को याद होगा जिसमें उन्होंने खलनायक की भूमिका निभायी थी ।जब बीआर चोपड़ा ने उन्हें कास्ट किया ।इसके बाद ‘साधना’ ,’मेरा साया’ जैसी फिल्मों से उनकी इमेज बदली और ‘मिलन’ ‘सुजाता’ ने उन्हें एक संजीदा कलाकार के रूप में स्थापित किया ।

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Happy Birthday Sunil Dutt: सुनील दत्त कैसे बने डायरेक्टर –प्रोड्यूसर…

सुनील दत्त रेशमा और शेरा फिल्म प्रोड्यूस कर रहे थे। जैसलमेर में शूटिंग चल रही थी  लेकिन उस वक्त बहुत गर्मी पड़ रही थी । जिसकी वजह से जब फिल्मों के नेगेटिव चेक किये गये थे वो जल गये थे, बेकार हो गये थे। उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और फिल्म को दोबारा शूट करने का फैसला लिया लेकिन फिल्म के डायरेक्टर नें इन्कार कर दिया । ऐसे में वो गुस्से  में आ गये और खुद डायरेक्शन करने का फैसला लिया ,हालांकि ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रही लेकिन अन्तराष्ट्रीय तौर पर फिल्म क्रिटिकिस  ने फिल्म को बेहद  पसन्द किया ।

सुनील दत्त ने 1964 में एक प्रयोगधर्मी फ़िल्म ‘यादें’ बनाई थी। इस फ़िल्म का नाम सबसे कम कलाकार वाली फ़िल्म के रूप में गिनीज बुक ऑफ़ रिकॉर्ड में दर्ज है। इस फिल्म के आख़िरी सीन में नरगिस एक छोटे से किरदार में नज़र आई हैं।बाक़ी फ़िल्म में सुनील के अलावा कोई और एक्टर नहीं है। इस फ़िल्म की कहानी लिखी थी उनकी अपनी पत्नी नरगिस दत्त ने,जो खुद एक बहुत बड़ी अदाकारा थीं।  फ़िल्म में एक ऐसे पति की कहानी है जिसकी पत्नी उसे छोड़कर चली गई है और वो उससे जुड़ी बातों को याद करता है।

Happy Birthday Sunil Dutt: सुनील दत्त और नरगिस की लव स्टोरी…

नरगिस ने काफी कम उम्र में काम करना आरंभ कर दिया था, वहीं सुनील दत्त ने भी काफी कम उम्र में अपने पिता को खो दिया था साथ ही दोनों ने बँटवारे की त्रासदी को भी भोगा था। सुनील द्त्त के पिता  के दोस्त याकूब ने जान पर खेलकर इनके परिवार को बचाया बचाया और भारत पहुँचने में पूरे परिवार की मदद की।  

रेडियो जॉकी के तौर पर रेडियो सिलोन में  लिप्टन की महफिल में सेलिब्रिटी का इन्टरव्यू लेते थे और बड़े मज़ाकिया अन्दाज़ के कारण जल्द ही वो फेमस भी हो गये और इसी इन्टरव्यू के दौरान इनकी मुलाकात नरगिस से हो गयी और यहीं से उन्हें नरगिस से प्यार हो गया था। लेकिन  उस वक्त सुनील दत्त एक स्ट्रगलर थे और नरगिस एक बेहतरीन अदाकारा के रूप में कामयाबी की ऊँचाईयों पर थीं । लेकिन वो वक्त भी आया जब सुनील दत्त की किस्मत ने करवट ली ।

मशहूर निर्माता ,निर्देशक महबूब खान एक अनोखी फिल्म बनाने की सोच रहे थे जिसका नाम था ”मदर इंडिया”। यह एक महिला प्रधान फिल्म थी। महबूब खान ने नरगिस से इस फिल्म की अभिनेत्री बनने की गुज़ारिश की और नरगिस ने उनकी इस गुज़ारिश को स्वीकार भी कर लिया और यही फिल्म इनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट थी। मदरइंडिया में नरगिस के अपोजिट पहले दिलीप कुमार काम करने वाले थे पर दिलीप कुमार ने ये बात कह कर इस फिल्म को रिजेक्ट कर दिया कि ”आखिर ऐसा कैसे हो सकता है कि मैं पूरी फिल्म में नरगिस को माँ कहकर पुकारता रहूँ, वो तो मेरी हीरोइन रही हैं, मैं उन्हे माँ रूप में कैसे देख सकता हूँ।”

हालांकि यह सुनकर महबूब खान ने उन्हें ये सुझाव भी दिया कि वो दिलीप कुमार को डबल रोल दे देंगे जिसमे पिता का किरदार भी वह ही निभायेंगे और बेटे का भी लेकिन फिर भी दिलीप कुमार नहीं माने और ये फिल्म मिल गयी सुनील दत्त साहब को। यही वो फिल्म थी जिसने नरगिस के जीवन में नये रंग भर दिये । इन सब के बीच नरगिस को ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था कि इस फिल्म के बाद उनकी ज़िन्दगी बदलने वाली थी ।

फिल्म मदर इंडिया की शूटिंग के दौरान भीषण आग लगी थी जिसमें नरगिस बुरी तरह से फंस गयी थी और तब सुनील दत्त ने अपनी जान की परवाह किये बिना आग में कूदकर नरगिस की जान बचाई थी। इस घटना की वजह से नरगिस का एक हाथ जल गया लेकिन सुनील दत्त का चेहरा और शरीर के कुछ हिस्से बुरी तरीके से जल गए थे। इसके बाद नरगिस ने दिन – रात अस्पताल में सुनील दत्त की बहुत सेवा की । नरगिस ये विश्वास ही नहीं कर पा रही थीं कि इस मतलबी दुनिया में सुनील दत्त जैसे महान लोग भी हैं।

उस वक्त उन्होंने अपनी डायरी में लिखा ”जो मैं हमेशा सबको सबकुछ करती रही लेकिन मेरे लिये किसी ने कुछ नहीं किया,घरवालों को सिर्फ मेरे कमाये पैसों से मतलब है राजा और उसके परिवार के लिये भी हमेशा मैं ही सब करती हूँ,वो मेरे लिये कुछ नहीं करते,राजकपूर मुझे मिस्ट्रेस बनाकर ताज़िंदगी रख सकते हैं, लेकिन वो मेरा हाथ कभी नहीं थामेंगे।”

2008 में हार्पर कॉलिंस से किश्वर देसाई की किताब ”डार्लिंगजी:द ट्रू लव स्टोरी ऑफ नरगिस एंड सुनील दत्त”आयी। जो नरगिस की लिखी डायरी पर आधारित थी जिसमें नरगिस ने अपने पर्सनल जीवन के बारे मे लिखा था। वो सुनील दत्त के उदार स्वभाव से बेहद प्रभावित हुई थीं हालांकि सुनील दत्त शुरू से ही नरगिस को बहुत पसंद करते थे। दूसरी तरफ जब सुनील दत्त की बहन बीमार पड़ गईं। वो मुंबई में किसी डॉक्टर को नहीं जानते थे। ऐसे में नरगिस बिना सुनील दत्त को बताए उनकी बहन को लेकर अस्पताल में चली गईं और उनका इलाज करवाया। इससे सुनील दत्त नरगिस को और भी चाहने लगे। उन्होंने नरगिस को शादी के लिए प्रपोज किया और 11 मार्च 1958 में ये  खूबसूरत जोड़ी शादी के पवित्र बंधन में बंध गयी । सुनील दत्त नरगिस को पिया कह के पुकारते थे तथा पत्रों में एक-दूसरे को मार्लिन मुनरो और एल्विस प्रिंसले लिखा करते थे। वे एक-दूसरे को डार्लिंगजी भी पुकारा करते थे।

किश्वर देसाई द्वारा लिखित किताब ‘डॉर्लिंगजीः द ट्रू लव स्टोरी ऑफ नरगिस एंड सुनील दत्त’ में सुनील दत्त और नरगिस के बीच के संबंधों को लेकर कुछ एक  बातें ऐसी लिखी गई हैं जिन्हें पढ़ने से पता चलता है कि दोनों के बीच संबंध किन ऊँचाइयों पर थे। नरगिस के बारे में इतनी गहराई से पहले शायद ही किसी ने लिखा हो।

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Happy Birthday Sunil Dutt: बेहतरीन और मददगार इंसान थे सुनील दत्त…

पंढरी जुकर जो पंढरी दादा के नाम से मशहूर थे।  1958 से 2005 तक सुनील दत्त के मेकअप मैन और फोटोग्राफर थे। सुनील दत्त के बारे में पंढरी दादा बताते हैं कि दत्त साहब दूसरों की बहुत मदद किया करते थे। यहाँ तक कि जब उनकी पत्नी बीमार थीं तो हिंदुजा अस्पताल में भर्ती ना करने पर ख़ुद सुनील दत्त साहब ने उनकी पत्नी को अस्पताल लेकर गए थे औऱ उन्हे भर्ती कराया और सभी डॉक्टरों से उनकी पत्नी का बेहतर इलाज़ करने की गुज़ारिश भी की और अस्पताल का पूरा ख़र्चा भी उठाया।

यही नहीं 1962 की भारत चीन की लड़ाई के बाद अपनी कमाई का एक हिस्सा शहीदों और जवानों को भी देना शुरू कर दिया था । वो सीमाओं पर जाते सैनिकों का हौसला बढ़ाते और उनके लिये मनोरंजन कार्यक्रम भी किया करते थे  । अपनी पत्नी की डेथ के बाद सुनील दत्त ने “दर्द का रिश्ता” फिल्म बनाई जिसकी कमाई का सारा बड़ा हिस्सा कैंसर पेशेन्ट पर लगा दिया । सुनील दत्त न केवल अच्छे इंसान थे बल्कि एक सफल राजनेता भी थे।

1987 में पंजाब में आतंकवाद अपने चरम पर था इसको रोकने के लिये मुम्बई से अमृतसर तक पदयात्रा करने की उन्होंने घोषणा की।  टेरिरिस्ट के निशाने पर होने के बावजूद सुनील दत्त नहीं डरे। यहाँ तक कि पंजाब के आतंकवादियों से धमकियां भी मिलने लगीं पर फिर भी उन्होंने मुबंई से अमृतसर तक सद्भावना और शांति के लिये पदयात्रा की ।1968 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया।

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Happy Birthday Sunil Dutt: मज़ाकिया और खुशदिल इंसान थे वो…

उनके मेकअप अर्टिस्ट पंढरी दादा बताते हैं कि अगर कोई काम ना हो रहा हो तो सुनील दत्त को बहुत ग़ुस्सा भी आया करता था लेकिन उन्हें मज़ाक करने की भी ख़ूब आदत थी।एक किस्से को याद करते हुये वे बताते हैं कि 1966 की बी.आर. चोपड़ा की फिल्म “हमराज” में ओथैलो की भूमिका निभा रहे थे जिसमें वो एक बूढ़े का रोल कर रहे थे ये उस वक्त की बात है । वो बताते हैं कि “फ़िल्म हमराज़ के लिए मैं उनका 110 साल के बूढ़े किरदार के लिए मेकअप कर रहा था। तभी उनसे मिलने नरगिस जी आ गईं। उन्होंने दत्त साहब से ही पूछ लिया कि बाबा दत्त साहब कहां हैं। ये सुनते ही दत्त साहब ने मुझे कुछ ना बताने का इशारा किया और पूरे 2 घंटे के इंतज़ार के बाद जब नरगिस चलने लगीं तो मुझे बुरा लगा। मैंने नरगिस जी को कहा दत्त साहब आपके बगल में ही हैं। यह सुनते ही नरगिस हैरान हो गईं और दत्त साहब ज़ोर से हँस पड़े। नरगिस जी मेरे पास आईं और कहने लगीं दादा आपने मेरे पति का ऐसा मेकअप किया कि मैं उनकी पत्नी होते हुए भी मैं उन्हें नहीं पहचान पाई। तब उन्होंने मुझे अपनी कीमती घड़ी यादगार के तौर पर दी और वो घड़ी ताउम्र उनके पास रही।”

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Happy Birthday Sunil Dutt: निजी जीवन काफ़ी संघर्षों से भरा था…

दत्त परिवार की जिंदगी किसी परीकथा की तरह चल रही थी  लेकिन 1979 में दिल्ली में राज्यसभा के सत्र में शामिल होने आईं नरगिस अचानक बीमार पड़ गईं। पहले पीलिया का शक हुआ और उसी रात मुंबई लौटने के बाद उन्हें ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। अगले दिन इलाज के लिए उन्हें न्यूयॉर्क ले जाया गया। जहां अगली सुबह वह स्लोन केटरिंग कैंसर सेंटर में भर्ती हुईं। उस वक्त तक यही लग रहा था कि वह जल्द ही घर लौट आएंगी।

हालांकि, एक साल बाद कई सर्जरी करवाकर वह भारत लौटीं। सुनील दत्त अपने बेटे को ड्रग्स की लत छुड़ाने और पत्नी का इलाज कराने के लिए वो दो बार अमरीका गए। इस दौरान वो बहुत परेशान रहे। उनकी मुसीबतें कभी कम न हुईं। कैंसर और ड्रग्स ने उन्हें बहुत लाचार और दुखी कर दिया था। ड्रग्स और कैंसर के प्रति लोगों में जागरुकता लाने के लिए उन्होंने दो बार मुंबई से चंडीगढ़ तक पदयात्रा की।

1981 में नरगिस का देहांत हो गया और सुनील दत्त टूट से गए। ‘मिस्टर और मिसेज दत्त’ किताब में लिखा है कि किस तरह से उनके जाने के बाद दत्त परिवार बिखर गया था। दोनों ने तब पिता को टूटते हुए देखा। वह डिप्रेशन का शिकार हो गए थे। संजय दत्त को ड्रग्स की लत लग गई थी। छोटी बेटी प्रिया को बोर्ड एग्जाम देना था और साथ ही भाई संजय की री-हैबिलिटेशन सेंटर में देखभाल भी करनी थी।

धीरे-धीरे सुनील और नरगिस के बच्चे सामान्य हुए और खुशियों ने उनके घर पर दस्तक दी। नम्रता की शादी एक्टर कुमार गौरव से हुई। सुनील दत्त ने प्रतिबद्ध सांसद के तौर पर पहचान बनाई। प्रिया ने पिता की राह चुनी और उन्हें भी जीवनसाथी मिला। सबसे बड़ी बात ये है कि संजय दत्त की जिंदगी भी पटरी पर आ गई और विवादों के बावजूद उनका करियर रफ्तार पकड़ने लगा। सुनील दत्त ने पूरे जीवन असंभव लड़ाइयां लड़ी। सबकुछ फिर से ठीक चलने लगा था । पिता और बेटे संजय दत्त ने मुन्ना भाई एम.बीबी.एस. फिल्में साथ की जो बेहद हिट रही । लेकिन 25  मई 2005  की सुबह दत्त परिवार को एक और दर्द दे गया। जब सुनील दत्त नॉर्मल टाइम पर बिस्तर से नहीं उठे तो उनके स्टाफ ने बच्चों को इस बारे में बताया और वे तुरंत पिता के पास मिलने पहुंचे। सुनील दत्त को बुखार था। प्रिया और उनके पति ओवेन ने सुनील दत्त के साथ डिनर किया। उसके बाद सुनील दत्त सोने चले गए। उन्होनें कहा कि वह थके हुए हैं क्योंकि उन्होंने पूरा दिन सामान पैक करने में लगाया था। वह अगले हफ्ते नए घर इंपीरियल हाइट्स में शिफ्ट होने जा रहे थे। लेकिन ये हो ना सका और 25  मई 2005  को इस महान कलाकार ने दुनिया को अलविदा कह दिया ।

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