लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है…., वही आग सीने में फिर जल पड़ी है….! ये बोल हैं फिल्म चांदनी की जो सन् 1989 में आई थी। इस गाने को श्रीदेवी के साथ अभिनेता विनोद खन्ना ने अपनी बेहतरीन अदाकारी से यादगार बना दिया था। आज बॉलीवुड समेत पूरा देश विनोद खन्ना की उसी बेहतरीन अदाकारी को याद कर रहा है क्योंकि वह अब इस दुनिया में नहीं रहे। पिछले करीब डेढ़ साल से बीमार चल रहे विनोद खन्ना ने आज सर एच. एन रिलायंस फाउडेशन अस्पताल में अपनी आखिरी सांस ली।

जानकारी के अनुसार विनोद खन्ना काफी वक्त से ब्लैडर कैंसर से पीड़ित थे। हालांकि उनके परिवार ने इस बात की पुष्टि नहीं की है। हाल ही में सोशल मीडिया में विनोद खन्ना की एक तस्वीर वायरल  हुई थी जिसमें वह काफी बीमार नजर आ रहे थे। जिसके बाद उनके परिवार की तरफ से ख़बर आई थी कि उनकी हालत में सुधार हो रहा है, जिसके बाद आज उनका निधन हो गया।

विनोद खन्ना एक ऐसे शख्स थे जिन्होंने अपनी एक जिंदगी में जीवन के कई रंग जिये। अपनी अभिनेता, से लेकर सन्यासी और सियासी सभी रूपों में विनोद खन्ना ने बेहतरीन काम किया। विनोद खन्ना का जन्म 6 अक्टूबर, 1946 को पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था। विभाजन के बाद उनके पिता किशनचंद्र खन्ना अपने परिवार के साथ मुबंई आकर बस गए।

फिल्म “मन का गीत” से फिल्मी करियर की शुरुआत

Famous actor and BJP MP Vinod Khanna passes awayविनोद खन्ना का फिल्मी सफर 1968 में आई फिल्म मन का गीत से शुरू हुआ था। यह फिल्म अभिनेता सुनील दत्त के होम प्रॉडक्शन के बैनर तले बन रही थी। दरअसल, सुनील दत्त ने अपनी भाई सोमदत्त को बतौर हीरो लॉन्च करने के लिए यह फिल्म बनाई थी। अपने भाई के साथ उन्होंने अपने फिल्म में विनोद खन्ना को भी बतौर विलेन लॉन्च किया। इस फिल्म के रिलीज़ होने के बाद सोमदत्त तो कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाए लेकिन विनोद खन्ना की गाड़ी चल पड़ी। विनोद खन्ना इतने खूबसूरत थे कि इस फिल्म के बाद लोग उन्हें हैंडसम विलेन कहने लगे।

इसके बाद उन्होंने मनोज कुमार के साथ पूरब और पश्चिम, सुपरस्टार राजेश खन्ना के साथ आन मिलो सजना और सच्चा-झूठा जैसे सुपरहिट्स फिल्मों में नेगेटिव रोल किए। 1971 में आई ब्लॉकबस्टर फिल्म मेरा गांव मेरा देश में उन्होंने डाकू जब्बर सिंह की भूमिका निभाई। हालांकि इस फिल्म में धर्मेंद्र बतौर हीरो थे लेकिन फिर भी खलनायक की भूमिका में विनोद खन्ना लोगों के दिलों में छा गए।

विनोद-अमिताभ की जोड़ी थी सुपरहीट

1970-80 का दौर मल्टीस्टारर फिल्मों का था लिहाजा विनोद खन्ना ने भी कई बड़े-बड़े स्टार के साथ काम किया लेकिन लोगों को अमिताभ बच्चन के साथ उनकी जोड़ी सबसे ज्यादा पसंद आई। सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के साथ उनकी फिल्म खून पसीना, हेरा फेरी और मुकद्दर का सिकंदर ने तो हंगामा मचा दिया। फिल्म अमर अकबर एंथॉनी में अमिताभ और विनोद की जोड़ी लोगों को खूब पसंद आई।

स्टार बनने के बाद विनोद ने अपनी बचपन की दोस्त गीतांजलि से शादी कर ली। उनके दो बेटे अक्षय खन्ना और राहुल खन्ना भी आगे चलकर अभिनेता बने। साल 1978 आते-आते विनोद की गिनती इंडस्ट्री के टॉप स्टार्स में हो रही थी लेकिन अपनी कामयाबी में उन्हें खालीपन नज़र आने लगा और इसलिए वो धीरे-धीरे आध्यात्म की तरफ मुड़ गए। आध्यात्मिक गुरू ओशो रजनीश ने उन्हें बेहद प्रभावित किया और विनोद उनके अनुयायी बन गए।

जब विनोद बन गए सन्यासी

इसका असर ऐसा हुआ कि विनोद फिल्मों की शूटिंग पर भगवा काफ्तान और माला लेकर आने लगे। हर हफ्ते उनके 2-3 तीन दिन पुणे के ओशो आश्रम में गुरू ओशो के साथ गुज़रने लग। मगर फिर अचानक कई समस्याओं के चलते आध्यात्मिक गुरू ओशो रजनीश को पुणे आश्रम छोड़ कर अमेरीका के ओरेगन शिफ़्ट होना पड़ा। इस समय विनोद खन्ना अपनी स्टारडम के चरम पर थे।

आलम ऐसा था कि निर्माता, निर्देशक विनोद से अपनी फिल्म में साइन कराने के लिए लाइन लगाकर खड़े रहते थे, लेकिन तभी विनोद खन्ना अपने चमचमाते करियर से संन्यास लेने का फैसला लिया और वो अपना करियर, स्टारडम, पत्नी, बच्चे, सबकुछ छोड़कर अपने गुरू यानि ओशो के पास अमेरिका चले गए। विनोद कई साल तक वहां रहे, यहां तक की फिल्म इंडस्टरी भी उन्हें भूला चुकी थी, तभी अचानक 6 साल के बाद विनोद वापस लौट आए लेकिन तब तक बॉलीवुड में दौर काफी बदल चुका था।

1997 में पहली बार सासंद बने

बॉलीवुड के बदलते दौर में  उन्होंने अपनी दूसरी पारी की शुरूआत की। विनोद ने इंसाफ, जुर्म, दयावान और चांदनी जैसी कई चर्चित फिल्में की मगर पहले जैसा मुक़ाम हासिल नहीं कर पाए। इस दौरान उन्होंने कविता नाम की महिला से दूसरी शादी की और इनसे उनके दो बेटियां हुई जिनका नाम, साक्षी और श्रद्धा है। इसके बाद जब उन्हें फिल्मों में अच्छे रोल मिलने खत्म हो गए तब उन्होंने राजनीति में हाथ आजमाया 1997 में पहली बार बीजेपी की ओर से गुरदासपुर के सांसद चुने गए। अपनी फिल्मी करियर की तरह ही उनका राजनैतिक करियर भी काफी शानदार रहा। वे लगातार 4 बार सासंद चुने गए साथ ही 2002 में केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री भी बने। इसके अलावा वे विदेश मामलों के मंत्रालय में राज्यमंत्री भी बने।

21 अप्रैल को रिलीज़ हुई उनकी आखिरी फिल्म ‘एक थी रानी ऐसी भी’

पिछले कुछ सालों में विनोद इक्का दुक्का फिल्में करते रहे लेकिन इस दौरान सलमान खान के साथ की गई कुछ फिल्मों में उन्होंने एक बार फिर यादगार किरदार निभाया। फिल्म ‘वॉन्टेड’, ‘दबंग’ और ‘दबंग 2’ में निभाए सलमान के पिता की भूमिका ने लोगों को पुराने विनोद की याद दिला दी थी। अभिनेता विनोद खन्ना की अंतिम फिल्म अभी 6 दिन पहले ही 21 अप्रैल को रिलीज हुई थी। इस फिल्म का नाम ‘एक थी रानी ऐसी भी’ है। फिल्म में हेमा मालिनी भी हैं जिन्होंने राजमाता विजया राजे सिंधिया का किरदार निभाया है। इंडस्ट्री में विनोद की इमेज ईमानदार शख्श और यारों के यार के तौर पर रही. अपनी यादगार फिल्मों और शानदार स्टाइल के लिए विनोद खन्ना हमेशा अपने प्रशंसकों के दिल में रहेंगे।

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